देश के बैंक इस समय एसेट-लायबिलिटी में जबरदस्त मिसमैच या असंतुलन का सामना कर रहे हैं। 19 नवंबर से 17 दिसंबर तक के दो पखवाड़ों में उनकी जमाराशि में 49,817 करोड़ रुपए की कमी आई है, जबकि इसी दौरान उनके द्वारा दिए गए ऋण 81,806 करोड़ रुपए बढ़ गए हैं। इस अंतर को पूरा करने के लिए बैंक लगातार रिजर्व बैंक की चलनिधि समायोजना सुविधा (एलएएफ) का इस्तेमाल कर रहे हैं और हर दिन सवा लाख करोड़औरऔर भी

रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को शाम को धन उपलब्ध कराने की खिड़की बंद कर दी थी। लेकिन इस हफ्ते के पहले दो दिनों में बैंकों ने जिस तरह एलएएफ के तहत भारी रकम उठाई, उसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने यह विशेष सुविधा दोबारा शुरू करने का फैसला किया है। अब 16 दिसंबर तक बैंक हर कामकाजी दिन में शाम 4.15 बजे रिजर्व बैंक से रेपो दर पर सरकारीऔरऔर भी

रिजर्व बैंक से उधार लेना 0.25 फीसदी महंगा होने के एक दिन बाद ही बैंकों में लोगों से ज्यादा डिपॉजिट खींचने की होड़ शुरू हो गई है। पहल की है निजी क्षेत्र के दो बैंकों ने। एचडीएफसी बैंक ने 30 जुलाई से अलग-अलग अवधि की एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) पर ब्याज की दर 0.25 फीसदी से लेकर 0.75 फीसदी तक बढ़ा दी हैं। वहीं दक्षिण भारत में सक्रिय अपेक्षाकृत छोटे, पर तेजी से उभरते लक्ष्मी विलास बैंक नेऔरऔर भी