मित्रों! न तो आपके इंतज़ार की घड़ियां खत्म हुई हैं और न ही मेरी। पढ़ाने से पहले पढ़ने में लगा हूं। एक बात तो साफ है कि निवेश के माध्यमों का जोखिम तो मै मिटा नहीं सकता। वो भविष्य में छलांग लगाने का मसला है, अनिश्चितता से जूझने का मामला है। वहां तो जोखिम हर हाल में रहेगा, कोई ‘भगवान’ तक उसे मेट नहीं सकता। लेकिन अपने स्तर पर मैं पढ़-लिखकर पक्का कर लेना चाहता हूं किऔरऔर भी

तमाम विशेषज्ञ कहते फिरते हैं कि आम निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश केवल म्यूचुअल फंडों के जरिए करना चाहिए। एक बार पुरानी नौकरी के दौरान राकेश झुनझुनवाला से आम निवेशकों के लिए नए साल के निवेश पर सलाह मांगने गया था तो उन्होंने ऐसा ही दो-टूक जवाब दिया था। ये लोग पुराने जमाने के ओझा-सोखा की तरह कहते हैं कि बडा कठिन है किसी आम निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश करने की समझ हासिलऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से जुलाई तक के चार महीनों में देश में संवेदनशील वस्तुओं का आयात 37.6 फीसदी बढ़ गया है। वहीं सभी जिसों का कुल आयात 36.18 फीसदी बढ़ गया है। इस साल संवेदनशील वस्‍तुओं का कुल आयात 31,692 करोड़ रुपए का हुआ है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 23,039 करोड़ रुपए का आयात किया गया था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के पहले चार महीनों में सभी जिंसोंऔरऔर भी

हम इस सेटलमेंट में निफ्टी के उच्च स्तर को अब पार कर चुके हैं। इससे 5500 पर फंसे सभी निवेशकों को निकलने की राह मिल गई है। हालांकि बहुत दूर की कौड़ी यह भी है कि इस स्तर भी लांग रहा जा सकता था। दूसरी तरफ निफ्टी नीचे में 5185 तक चला गया। यह फिसलन इतनी तेज थी कि ट्रेडर लगातार बेचते हुए अपनी औसत लागत घटाते रहे ताकि वह 5300 पर आ जाए। फिर भी बाजारऔरऔर भी

अमेरिकी के एक अखबार में छपे लेख में बताया गया है कि चांदी में सट्टेबाजी क्या आलम है। यहां तक कि सट्टेबाजों के कहने पर वहां के कमोडिटी एक्सचेंज ने मार्जिन कॉल जारी करने में देर कर दी। इसके बाद भी चांदी में गिरावट आई तो सही, लेकिन काफी देरी के बाद। भारत की बात करें तो यहां भी सट्टेबाजी सिर चढ़कर बोल रही है। इसमें कोई शक नहीं कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति की गंभीर अवस्थाऔरऔर भी

अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार क्या गिराया, तमाम जिंसों के दाम धड़ाम-धड़ाम गिरने लगे। चांदी पर निचला सर्किट लग गया। एक हफ्ते में चांदी पर लगा यह दूसरा निचला स्रर्किट है। यह संकेत है इसके भावी हश्र का। इस पर मार्जिन भी अब काफी बढ़ा दिया गया है। इससे इसमें और गिरावट आएगी और यह 60,000 प्रति किलो के नीचे जा सकती है। फिलहाल कारोबारियों में इसमें निचले स्तर पर खरीद की चर्चाएं चल पड़ीऔरऔर भी

जापान में हालात सामान्य होने लगे हैं। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के सभी छह रिएक्टरों में बिजली बहाल हो गई है। यहां से जापान में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी और वहां की नई मांग से दुनिया में जिंसों के भाव बढ़ सकते हैं। इस बीच लीबिया पर पश्चिमी देशों के सैन्य हमलों के बाद कच्चे तेल के दाम फिर उठने लगे हैं। लेकिन यह मसला भी जल्दी ही सुलझ जाएगा। गद्दाफी लंबे समय तक खुद को बचाएऔरऔर भी

जापान में भयंकर भूकंप और सुनामी से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है और इसमें सारी दुनिया से जापान को सहयोग व मदद मिलनी चाहिए। हालांकि जापान सरकार ने जिस तरह राहत व बचाव के लिए खटाक से 18,600 करोड़ डॉलर निकाल लिए हैं, वो वाकई सराहनीय कदम है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि जापान इस संकट से उबर जाएगा, भले ही इसमें थोड़ा वक्त लगे और उसे तकलीफ उठानी पड़े। असल में जापान में पुनर्निर्माणऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने माना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों की कीमतों में तेजी से देश पर महंगाई का दबाव बढ़ सकता है। मंगलवार को राजधानी दिल्ली में उद्योग संगठन फिक्की की 83वीं सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘‘दुनिया के बाजार में जिंसों की कीमतों से देश में महंगाई पर दबाव पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीयऔरऔर भी

देश के 23 जिंस एक्सचेंजो का कारोबार अक्टूबर माह में 54.31 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 9.89 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के मुताबिक सर्राफा कारोबार में बढ़ोतरी के कारण एक्सचेंजों के कारोबार में तेजी आई। पिछले साल के इसी माह में जिंस एक्सचेंजों का कारोबार 6.40 लाख करोड़ रुपये रहा था। अक्टूबर माह के दौरान देश के चार प्रमुख एक्सचेंजों में से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) का कारोबार 57.46 फीसदी कीऔरऔर भी