कृषि और वाणिज्य मंत्रालय में करीब दो महीने तक चली खींचतान के बाद आखिरकार सरकार ने अब कपास का निर्यात खोल दिया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरेन शेठ के मुताबिक इससे कपास के दाम 10 से 15 फीसदी बढ़ सकते हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका खास फायदा किसानों को नहीं मिलेगा क्योंकि ज्यादातर किसान अपना 70-80 फीसदी कपास पहले ही बेच चुके हैं। इसका फायदा मूलतः कपास के स्टॉकिस्टों या उनऔरऔर भी

वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (जीडीएफटी) की अधिसूचना के जरिए कपास निर्यात पर तत्काल प्रभाव से जो बैन लगाया था, वह शुक्रवार शाम तक उठा लिया जाएगा। शुरुआती इजाजत 25 लाख गांठों के निर्यात की दी जाएगी। बुधवार को प्रधानमंत्री की हिदायत मिलने के बाद सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। शाम को वित्त मंत्रालय प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों का समूह अपनी बैठक में इस पर मोहर लगाने की औपचारिकताऔरऔर भी

सरकार ने तत्काल प्रभाव से कपास निर्यात पर रोक लगा दी है। इस बाबत विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर दी जिसके तहत कपास के निर्यात पर अगले आदेश तक पाबंदी लगी रहेगी। इसकी खास वजह यह है कि घरेलू खपत से बची 84 लाख गांठों के निर्यात का लक्ष्य था, जबकि अब तक वास्तव में करीब 94 लाख गांठों का निर्यात किया जा चुका है। इस साल पिछले वर्ष के समानऔरऔर भी

वाणि‍ज्‍य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार, 11 अक्‍तूबर 2011 को राजधानी दि‍ल्‍ली में व्‍यापार बोर्ड की बैठक बुलाई है। इस बैठक में निर्यात के लिए विशेष प्रोत्साहन घोषित किए जा सकते हैं। बैठक में जिन अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है, उनमें देश का व्‍यापार परिदृश्‍य, वैश्विक व्‍यापार पर एक नजर, प्रति‍कूल परिदृश्‍य के खतरे को कम करने के उपायों पर नीति, प्रक्रिया को सरल बनाने और वाणि‍ज्‍य मंत्रालय द्वारा पेश रणनीति‍क दस्‍तावेज प्रमुखऔरऔर भी

सरकार ने डीम्ड निर्यात नीति के दुरुपयोग को रोकने और इसमें जरुरी सुधार के लिए सभी संबद्ध पक्षों से सुझाव मांगे हैं। सरकार को इस नीति के दुरूपयोग की रिपोर्टें बराबर मिल रही हैं, विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र में। डीम्ड निर्यात ऐसा कारोबार है जिसमें वस्तुओं को देश से बाहर नहीं भेजा जाता है, बल्कि इसका इस्तेमाल देश में ही होता है। इस प्रकार के सौदों के लिए भुगतान भी किसी भी मुद्रा में किया जा सकता है।औरऔर भी

सरकार ने दालों के निर्यात पर लगी पाबंदी और एक साल के लिए बढ़ा दी है। मौजूदा रोक की अवधि 31 मार्च 2011 को खत्म हो रही थी। लेकिन अब इसे 31 मार्च 2012 तक बढ़ा दिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बुधवार को जारी एक अधिसूचना में कहा है, “दालों के निर्यात पर प्रतिबंध की मीयाद 31 मार्च 2012 तक बढ़ा दी गई है।” लेकिन यह रोक काबुली चने के निर्यात पर नहीं लागू होगी।औरऔर भी

सरकार ने आईटी और आईटीईएस, दूरसंचार व विमानन सेवाओं के निर्यातकों को दिए जा रहे प्रोत्साहन वापस लेने की घोषणा की है। इस कदम से देश के सेवा क्षेत्र के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। भारत से सेवा योजना (एसएफआईएस) के तहत शुल्क क्रेडिट की पात्र सेवाओं की सूची को छोटा किया गया है। इसमें से कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों मसलन कंप्यूटर परामर्श सेवाएं, सॉफ्टवेयर क्रियान्वयन, डाटा प्रोसेसिंग और डाटाबेस सेवाओं को हटा दिया गया है।औरऔर भी