मंदी का बाजार हमेशा मरे हुए स्टॉक्स में भी जान देता है और तेजी के बाजार से भी ज्यादा तेजी का सबब बन जाता है क्योंकि ऑपरेटर व फंड नहीं जानते कि बाजार का रुख कब पलट जाए तो हमेशा हड़बड़ी में रहते हैं। दूसरी तरफ तेजी का बाजार आपको हमेशा एक धीमा पैटर्न देता है जो अंडमान-निकोबार की यात्रा जैसा बोरिंग होता है क्योंकि यहां निवेशक नोट बनाने की हड़बड़ी में होते हैं, जबकि ऑपरेटरों वऔरऔर भी