रिजर्व बैंक ने मौद्रिक की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरों को जस का तस रखा है, लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को आधा फीसदी घटाकर 6 से 5.5 फीसदी कर दिया है। दूसरे शब्दों में बैंकों को अब अपनी कुल जमा का 6 फीसदी नहीं, बल्कि 5.5 फीसदी हिस्सा ही रिजर्व बैंक के पास रखना होगा। यह फैसला 28 जनवरी 2012 से शुरू हो रहे पखवाड़े से लागू हो जाएगा। ध्यान दें कि सीआरआर में आधाऔरऔर भी

मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक कुछ हद तक निश्चिंत हो गया है। लेकिन इतना नहीं कि मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती कर दे। मंगलवार को सुबह 11 बजे रिजर्व बैंक नए मौद्रिक उपायों की घोषणा करने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मुद्रा बाजार में इस समय जिस तरह तरलता की किल्लत चल रही है, उसमें पूरे आसार इस बात के हैं कि वह नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा फीसदी कटौतीऔरऔर भी

इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं और जो नतीजा निकला वो न बहुत ज्यादा रहा और न ही बहुत कम। रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 से ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला रोक दिया है। उसने अपेक्षा के मुताबिक रेपो दर को 8.5 फीसदी पर यथावत रखा है। इसके अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 7.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रही है। शेयर बाजार ने रिजर्व बैंक के इस रुख का स्वागत किया और सेंसेक्स व निफ्टी दोनों में करीब डेढ़औरऔर भी

रिजर्व बैंक देश के बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करने के लिए सारे उपाय करेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने यह दावा किया है। लेकिन उन्होंने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की संभावना के बारे में कोई भी टिप्पणी करने के इनकार कर दिया। सुब्बाराव गुरुवार को कोलकाता में रिजर्व बैंक के निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, “सिस्टम में या कुछ बैंकों के साथऔरऔर भी

बहुत सारी कंपनियां बहुत सारी वजहों से इल्लिक्विड हो जाती हैं। लेकिन बी ग्रुप की किसी अच्छी-खासी कंपनी में अगर बिना किसी वजह के दिन भर में केवल एक शेयर की खरीद-फरोख्त हो तो हमारे पूंजी बाजार नियामक, सेबी को जरूर सोचना चाहिए कि बाजार में ऐसा सन्नाटा क्यों है भाई? यहां बुरे का बोलबाला, अच्छे का मुंह काला क्यों है? दक्षिण भारत की कंपनी श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के साथ बीते हफ्ते यही हुआ। शुक्रवार, 2औरऔर भी

भारत में अटकलें चल ही रही हैं कि रिजर्व बैंक सिस्टम में तरलता बढ़ाने की खातिर बैंकों के लिए तय नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती कर सकता है कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले ही अचानक इस रिजर्व अनुपात (आरआरआर) में कमी कर सारी दुनिया को चौंका दिया। चीन ने दिसंबर 2008 के बाद पहली बार रिजर्व अनुपात में 0.50 फीसदी की कमी की है। बता दें कि चीन भी कम आर्थिक विकास दरऔरऔर भी

तमाम विशेषज्ञ कहते फिरते हैं कि आम निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश केवल म्यूचुअल फंडों के जरिए करना चाहिए। एक बार पुरानी नौकरी के दौरान राकेश झुनझुनवाला से आम निवेशकों के लिए नए साल के निवेश पर सलाह मांगने गया था तो उन्होंने ऐसा ही दो-टूक जवाब दिया था। ये लोग पुराने जमाने के ओझा-सोखा की तरह कहते हैं कि बडा कठिन है किसी आम निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश करने की समझ हासिलऔरऔर भी

बुधवार को सुबह-सुबह प्री-ओपन सत्र में सेंसेक्स के 386.80 अंक और निफ्टी के 123.70 अंक बढ़ जाने से वित्त मंत्री प्रणव मुखजी इतने प्रफुल्लित हो गए कि बोल पड़े कि भारतीय शेयर बाजार बहुत जल्द अगले कुछ दिनों में ही पटरी पर आ जाएगा। मुखर्जी ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार मिलकर बाजार में स्थायित्व लाने की कोशिश में लगे हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सिस्टम मेंऔरऔर भी

मुद्रास्फीति के बढ़ते जाने की चिंता रिजर्व बैंक पर लगता है कि कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई है। इसको थामने के लिए उसने ब्याज दरों में सीधे 50 आधार अंक या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इतनी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। आम राय यही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे थे कि औद्योगिक धीमेपन को देखते हुए शायद इस बारऔरऔर भी

सेबी के कार्यकारी निदेशक जे एन गुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए गए एक इंटरव्यू में भारतीय पूंजी बाजार नियामक संस्था को अमेरिका जैसे विकसित पूंजी बाजार की नियामक संस्था से बेहतर बताया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सेबी का भारतीय बाजार पर अमेरिका के एसईसी (सिक्यूरिटीज एक्सचेंज कमीशन) की तुलना में ज्यादा नियंत्रण है तो उनका कहना था – यकीकन। श्री गुप्ता का कहना था कि सेबी ने तमाम ऐसे उपाय करऔरऔर भी