भगवान और धर्म के नाम पर खुल्लमखुल्ला लूट सदियों से जारी है। कभी राजा-महाराजा से लेकर पंडित, पादरी और मुल्ला यह काम करते थे। इतने अनुष्ठान कि लोगों का तर्क तेल लेने चला जाए। अब बाजार के जमाने में वही काम विज्ञापन करने लगे हैं।और भीऔर भी

विवेक तर्क की स्वाभाविक परिणति है, स्मृति विवेकयुक्त साधना और एकात्मता साधनायुक्त स्मृति की। तर्क विवेक तक ले जाता है। स्मृति अपने उत्स की ओर लौटना है। एकात्मता की अवस्था में तो जीने-मरने जैसे द्वैतभाव ही मिट जाते हैं।और भीऔर भी

बाजार के हालात सचमुच खराब हों या न हों, लेकिन भाई लोगों ने अफवाहों का चक्रवात चलाकर पूरे माहौल को बहुत भयावह बना दिया है। वे बता रहे हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 3 अक्टूबर 2008 को क्या आंकड़े पेश किए थे और अब उसी ने 3 अक्टूबर 2011 को क्या आंकड़े पेश किए हैं। संयोग से दोनों आंकड़े कमोबेश एक जैसे हैं और लेहमान संकट के समय आए ध्वंस की याद दिला रहे हैं। एकऔरऔर भी

भावना बोली मैं सही। तर्क बोला मैं सही। भावना तर्क को उलाहना देती है कि तेरे रूखे-सूखे ज्ञान मार्ग से बाहर की दुनिया सधती है, अंदर की कलसती है। तर्क कहता है – तेरा भक्ति मार्ग सरासर मूर्खता है। तकरार जारी है।और भीऔर भी

भावनाओं की दुनिया कितनी निश्छल होती है! लेकिन दुनियावाले इन्हीं भावनाओं की तह में पैठकर हमें छलने का तर्क निकाल लेते हैं। और, ज़िंदगी  का कारोबार तो तर्क से चलता है बंधुवर, भावनाओं से नहीं।और भीऔर भी

दुनिया में कुछ भी अकारण नहीं। सब नियमबद्ध है। नियम-विरुद्ध होने पर ही दुर्घटनाएं होती हैं। इसलिए इन नियमों को समझना जरूरी है और नियमों को तर्क पर तर्क, सवाल पर सवाल के बिना नहीं समझा जा सकता।और भीऔर भी