बाजार इस हफ्ते दायरे में बंधकर चलेगा। पहले निफ्टी 5230 से 5340 का दायरा तोड़े, तभी आगे की दिशा साफ हो सकती है। यह कहना है जानकारों का। लेकिन जीवन की तरह शेयर बाजार भी किसी फिल्म या सीरियल की स्क्रिप्ट नहीं है कि कम से कम लिखनेवाले को आगे का पता हो। यहां तो हर कोई, बड़े से बड़ा दिग्गज भी अंदाज ही लगाता है। नहीं लगा तो तीर, लग गया तो तुक्का। बाजार में हरऔरऔर भी

बाजार लोगों की सोच का गुलाम नहीं है। दिसंबर का महीना मंदड़ियों की जकड़ में रहा, जबकि बाजार के लोग अच्छी रैली की उम्मीद कर रहे थे। जनवरी में बाजार के लोग 10 फीसदी गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट की व्यवस्था के चलते बाजार वर्तमान सेटलमेंट के अंतिम दिन 25 जनवरी तक निफ्टी को 5000 तक ले जा सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे जो चाहते हैं, उन्हेंऔरऔर भी

आप सभी को नया साल मुबारक। बीते साल जिस दुख और तकलीफ से आप गुजरे हैं, उसकी कोई भी अनदेखी नहीं कर सकता। ऊपर से गिरावट का शोर थमा नहीं है। निफ्टी के और गिरकर 4200 व 3800 पहुंचने के अनुमान भले ही मूलभूत आर्थिक पहलुओं पर खरे न उतरते हों, लेकिन चार्टों और टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेकर अब भी यही भोंपू बजाया जा रहा है। सरकार ने विदेशी निवेशकों को भारतीय कंपनियों में शेयर हिस्सेदारीऔरऔर भी

बाजार के बारे में क्या कहा जाए! यहां कोई न्यूनतम स्तर भी न्यूनतम स्तर नहीं होता। जैसे, नव भारत वेंचर्स ने पिछले साल 29 नवंबर 2010 को 295.10 रुपए पर तलहटी बनाकर 302 रुपए पर बंद हुआ तो उसका तब का पी/ई अनुपात 5.33 था और शेयर की बुक वैल्यू थी 234.06 रुपए। ऐसे में इसमें निवेश की सलाह तो बनती ही थी। लेकिन यह शेयर 30 अगस्त 2011 को 158 रुपए के नए न्यूनतम स्तर पहुंचऔरऔर भी

कंपनियों के शेयरों के भाव इस पर भी निर्भर करते हैं कि उसे चाहनेवाले कितने हैं। दिक्कत यह है कि हमारे यहां चाहनेवालों में निवेशक कम, ऑपरेटर ज्यादा हैं। लेकिन लंबे समय में ऑपरेटरों का करतब नहीं, कंपनी की असली ताकत ही चलती है। नहीं तो जिस पेंटामीडिया ग्राफिक्स को केतन पारेख ने फरवरी 2000 में 2275 रुपए तक उठा दिया था, वह आज 1.33 रुपए पर नहीं डोल रहा होता। इसलिए, ट्रेडिंग में सब चलता है,औरऔर भी

एवरेस्ट इंडस्ट्रीज लाभ के धंधे में लगी बराबर लाभ कमानेवाली कंपनी है। 1934 में बनी 77 साल पुरानी कंपनी है। बिल्डिंग से जुड़े साजोसामान बनाती रही है। छत व दीवारों से लेकर दरवाजे व फ्लोरिंग तक। फाइबर सीमेंट बोर्ड (एफसीबी) से लेकर प्री-इंजीनियर्ड स्टील बिल्डिंग तक। एस्बेस्टस पर्यावरण के लिए खतरनाक है, विकसित देशों से उसे निकाला गया तो कंपनी ने उसका विकल्प एफसीबी के रूप में पेश कर दिया। घरेलू बाजार के साथ-साथ कंपनी निर्यात भीऔरऔर भी

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ऑयल इंडिया में अगले वित्त वर्ष के दौरान 10% हिस्सेदारी बेच सकती है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर के लिए तैयार रहने को कहा गया है। फिलहाल ऑयल इंडिया की इक्विटी में सरकार की 78.4% हिस्सेदारी है। ऑयल इंडिया का विनिवेश सरकार द्वारा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की 5% हिस्सेदारी बेचने के बाद किया जाएगा। ओएनजीसी के शेयरों की बिक्री दिसंबर में होनेऔरऔर भी

कुछ कंपनियों के बढ़ने से अर्थव्यवस्था बढ़ती है और कुछ कंपनियां अर्थव्यवस्था के बढ़ने से बढ़ती हैं। 1938 में डेनमार्क के दो इंजीनियरों हेनिक हॉक-लार्सन और सोरेन क्रिस्टियान टुब्रो द्वारा मुंबई में अपने नाम पर बनाई गई एल एंड टी दूसरी तरह की कंपनी है। हालांकि ये दोनों संस्थापक इतिहास के बस नाम भर रह गए हैं। इनका धेले भर का भी लेना देना अब एल एंड टी से नहीं है। यह पूरी तरह प्रोफेशनलों की तरफऔरऔर भी

गणनाओं में बहुत कुछ रखा है। लेकिन गिनतियों में कुछ नहीं रखा। आज दुनिया में करोड़ों लोग बमके पड़े हैं कि वे 11/11/11 का दिन जी रहे हैं। जर्मनी में तो लोग ज्यादा ही बावले होंगे क्योंकि आज 11 बजकर 11 मिनट पर वहां कई महीनों चलनेवाला कार्निवाल शुरू होगा तो उनके लिए पूरा क्रम 11/11/11/11/11 का बन गया है। लेकिन यह भी चक्र का एक दिन है जो जैसा आया है, वैसे ही चला जाएगा। फिरऔरऔर भी

सपरिवार तीन दिन की छुट्टियां। शहर से बाहर, पास के दूसरे शहर में। घरवालों ने मना किया कि इन दिनों में काम नहीं करना। फिर भी लैपटॉप व एमटीएस का कनेक्शन साथ ले गया कि दिन में घंटे-दो घंटे काम कर ही लेंगे। लेकिन एमटीएस का कनेक्शन लाख जतन के बावजूद जुड़ न सका और मेरी झल्लाहट एमटीएस के विज्ञापन की वो छवियां बढ़ाती रहीं जो उसकी स्पीड का महिमागान करती हैं। समझ में आ गया किऔरऔर भी