कृषि मंत्रालय की तरफ से दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक अभी तक रबी सीजन में कुल 290.67 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई कर दी गई है। पिछले साल इसी तिथि तक कुल 288.38 लाख क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल यह कुल 2.29 लाख हेक्‍टेयर अधिक है। मध्‍यप्रदेश के 4.79 लाख हेक्‍टेयर, राजस्‍थान के 3.11 लाख हेक्‍टेयर, झारखंड के 0.58 लाख हेक्‍टेयर और छत्‍तीसगढ़ केऔरऔर भी

इस बार देश में दहलन और तिलहन कम बोया गया है। अभी तक दालों की बुआई 140.66 लाख हेक्‍टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह रकबा 142.38 लाख हेक्‍टेयर था। चने की बुआई पिछले वर्ष की इसी अवधि में 92.77 लाख हेक्‍टेयर की तुलना में 87.22 लाख हेक्‍टेयर में की गई है। तिलहन के मामले में पिछले वर्ष के 85.5 लाख हेक्‍टेयर की तुलना में अब तक 80.96 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में बुआई की जाने कीऔरऔर भी

कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार धान और तिलहन के बोवाई रकबे में काफी वृद्धि हुई है। इससे लगता है कि चावल व खाद्य तेलों की सप्लाई ज्यादा रहेगी जिससे इनके दाम नीचे आ सकते हैं। कृषि मंत्रालय ने बताया है कि राज्‍यों से प्राप्‍त आंकड़ों के अनुसार 16 सितंबर ‍तक 376.77 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में धान की बोवाई हुई है। यह पिछले साल के मुकाबले 33.55 लाख हेक्‍टेयर अधि‍क है। पश्‍चि‍म बंगाल, बि‍हार, झारखंड, उत्‍तर प्रदेश,औरऔर भी

केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दो महीनों में दलहन की खेती करने वाले 60,000 वर्षा आधारित गांवों को प्रोत्‍साहित करने के लिए विभिन्‍न राज्‍यों को 109.9 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं। इसमें गुजरात, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु को कोई रकम नहीं दी गई गै। यह कार्यक्रम राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) का हिस्‍सा है, जिसके लिए 300 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। आवंटित और जारी की गई रकम (करोड़ रुपए में)औरऔर भी

सरकार ने देश में इस साल रिकॉर्ड 8.147 करोड़ टन गेहूं उत्पादन की उम्मीद जताई है और उसका मानना है कि इसका सकारात्मक असर आर्थिक परिदृश्य पर पड़ेगा। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2010-11 फसल वर्ष में गेहूं उत्पादन 8.147 करोड़ टन रहेगा जो रिकॉर्ड है। इसी तरह आलोच्य वर्ष में कुल खाद्यान्न उत्पादन छह फीसदी बढ़कर 23.207 करोड़ टन होने का अनुमान है। वर्ष 2009-10 में यह आंकड़ा 21.82 करोड़ टन था। बेहतर खाद्यान्नऔरऔर भी

हर गांव में बनाए जाएंगे दलहन के फाउंडेशन बीजों के लघु गोदाम। आधा एकड़ खेत के लिए बीज की आपूर्ति आधे दाम पर की जाएगी। सरकार की कोशिशें कामयाब हुईं तो आनेवाले सालों में रोटी के साथ दाल भी मयस्सर हो सकती है। देश में दाल की कमी और उसकी बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार सारे विकल्पों को आजमाने में जुट गई है। इसके तहत पहले दलहन ग्राम और अब बीज ग्राम बसाने की योजना पर अमलऔरऔर भी

महंगाई पर काबू पाने की कीमत सरकार अब किसानों से वसूलने जा रही है। खेती की लागत बढ़ने के बावजूद वह इस बार खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने नहीं जा रही है। धान का मूल्य किसानों को वही मिलेगा जो पिछले साल मिला था। जबकि दलहन के मूल्य में की गई वृद्धि नाकाफी है। जिंस बाजार में दलहन की जो कीमतें हैं, उसके मुकाबले सरकार ने एमएसपी लगभग एक तिहाई रखा है। सरकार केऔरऔर भी

एस पी सिंह दूसरी हरितक्रांति और दलहन विकास के लिए सिर्फ 700 करोड़ रुपये का सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। जबकि आईपीएल की एक टीम 1702 करोड़ रुपये में बिकी है। यह हाल चल रहा है गरीबों व भुखमरी के शिकार लोगों के देश में!! खाद्यान्न की महंगाई ने लोगों की रसोई का बजट खराब कर दिया है और गरीबों के पेट भरने के लाले पड़े हैं। महंगाई पर चर्चा कराने को लेकर पक्ष-विपक्ष कीऔरऔर भी