रोजमर्रा के उपयोग की चीजें बनानेवाली कंपनियों ने दो-तीन सालों से सिलसिला चला रखा है कि दाम स्थिर रखते हुए वे पैक का साइज या वजन घटा देती हैं। उनका तर्क रहता है कि वे कच्चे माल की लागत को समायोजित करने के लिए ऐसा करती है। लेकिन अगले साल जुलाई से वे ऐसा नहीं कर पाएंगी। सरकार पारदर्शिता लाने में जुट गई ताकि ग्राहक को सही-सही पता रहे कि वह कितने दाम में कितना सामान खरीदऔरऔर भी

मेहनत के बिना कहीं आसमान से कुछ नहीं टपकता। हां, जानवर या मशीन जैसे काम के दाम कम हैं। पर पढ़-लिखकर इंसानी हुनर के माफिक काम करेंगे तो दाम भी ज्यादा मिलेंगे। सीधी-सी बात है।और भीऔर भी

हम कोई सामान खरीदने जाते हैं, पूरी तहकीकात करते हैं। कई दुकानों पर पूछते हैं। रिश्तेदारों व पड़ोसियों तक से पूछ डालते हैं। लेकिन शेयरों में निवेश हम झोंक में करते हैं। टिप्स की तलाश में लगे रहते हैं। हमारी इसी मानसिकता का फायदा उठाने के लिए इन दिनों तमाम वेबसाइटों से लेकर एसएमएस तक से टिप्स भेजे जाने लगे हैं। इधर फंडामेंटल्स मजबूती की बात उठने लगी तो कुछ एसएमएस फंडामेंटल बताकर ही निवेश की सलाहऔरऔर भी

सरकार पश्चिम एशिया, विशेषकर मिस्र की घटनाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में आई तेजी पर नजर रखे हुए है और उसे विश्वास है कि वह तेल बाजार में उछाल से उत्पन्न स्थिति संभाल लेगी। यह आश्वासन दिया है वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने। बुधवार को वित्त मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि हम स्थिति को संभाल लेंगे। पहले भी जब कच्चे तेल के दाम काफी बढ़करऔरऔर भी

सरकार ने आज बड़ा फैसला लेते हुए पेट्रोल की कीमतों से नियंत्रण पूरी तरह हटा लिया। अब पेट्रोल पर सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी और इसका मूल्य बाजार के हिसाब से तय होगा। लेकिन डीजल पर अभी सरकार थोड़ा नियंत्रण बरकरार रखेगी, जबकि रसोई गैस और केरोसिन के मूल्य अब भी पूरी तरह उसके नियंत्रण में रहेंगे। मंत्रियों के साधिकार समूह (एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स – ईजीओएम) ने शुक्रवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी