इस समय जो-जो चीजें किसानों के पास बहुतायत में हैं, उन सभी की कीमत में भारी गिरावट के कारण खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे पहुंच गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 24 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्यों पर आधारिक खाद्य मुद्रास्फीति की दर (-) 3.36 फीसदी रही है। लेकिन किसानों के पास जो चीजें नहीं हैं, मसलन दूध, फल, दाल व मांस-मछली व अंडे, उनऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 17 सितंबर को समाप्त सप्ताह में फिर से बढ़कर 9.13 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले हफ्ते यह दर 8.84 फीसदी थी, जबकि उससे पहले हफ्ते में 9.47 फीसदी थी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खाद्य वस्तुओं के दामों में जारी तेजी को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि इस तरह का उतार-चढ़ाव गंभीर चिंता का विषय है। खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब है जो गंभीर स्थिति है।औरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 10 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान गिरकर 8.84 फीसदी पर आ गई। यह हफ्ते भर पहले 9.47 फीसदी दी। लेकिन आंकड़ों में इस कमी से आम आदमी को कोई राहत नहीं मिली क्योंकि मुख्य जिंसों की कीमतें अब भी ऊंची बनी हुई हैं। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं को छोड़कर ज्यादातर जिंसों की कीमतें एक साल पहले की तुलना में महंगीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति एक बार दहाई के खतरनाक आंकड़े की तरफ बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 जुलाई 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर 9.90 फीसदी दर्ज की गई है। इससे पिछले सप्ताह यह 8.04 फीसदी और उससे पहले पिछले सप्ताह 7.33 फीसदी ही थी। वैसे तसल्ली की बात यह है कि साल भर पहले इसी दौरान मुदास्फीति की दर 16.45औरऔर भी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 20 माह के न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर आ गई। लेकिन दूध, फल और अंडा, मांस व मछली जैसी जिन प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं का खास जिक्र दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक की समीक्षा में किया था, उनके दाम अब भी ज्यादा बने हुए हैं। साल भर की समान अवधि की तुलना में उक्त सप्ताह में फलऔरऔर भी

देश में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 11 जून को समाप्त हुए सप्ताह में बढ़कर 9.13% पर पहुंच गई। यह ढाई महीने का उच्च स्तर है। फल, दूध, प्याज और प्रोटीन-युक्त वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे पिछले सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति 8.96% थी। वहीं साल भर पहले जून, 2010 के दूसरे सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर करीब 23 फीसदी थी। 26 मार्च, 2011 को समाप्त हुए सप्ताहऔरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति की हकीहत और चिंता रिजर्व बैंक पर भारी पड़ी है। इतनी कि मार्च की मुद्रास्फीति के लिए इसी जनवरी में 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया गया अनुमान उसने फिर बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया है। जाहिर है तब आर्थिक विकास के बजाय उसकी प्राथमिकता मुद्रास्फीति पर काबू पाना बन गया और इसके लिए उसने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि कर दी है। असल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर एकऔरऔर भी

प्याज, आलू और दालों के दाम में नरमी आने से 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 10.39 फीसदी पर पर आ गई। हालांकि इस दौरान फल, दूध और सब्जियों की कीमतों में तेजी बनी रही। इससे पिछले सप्ताह खाद्य मुद्रास्फीति की दर 11.49 फीसदी पर थी, जबकि बीते साल 19 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में यह 21.62 फीसदी पर पहुंच गई थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताहऔरऔर भी

प्याज, लहसुन और दूसरी सब्जियों के दाम बढने से खाद्य मुद्रास्फीति की दर तीन हफ्ते बाद फिर से दहाई अंक में पहुंच गई है। 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति ढाई फीसदी से भी अधिक उछलकर 12.13 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति की साप्ताहिक दरों को प्रभावित कर रही हैं। वैसे, प्याज निर्यात पर प्रतिबंध और आयात पर सीमा शुल्क करने काऔरऔर भी