फिलहाल विश्रांति, आगे मर्जी दाता की
मुझे पता है कि मुठ्ठी भर लोगों को छोड़ दें तो इससे आप पर कोई फर्क नहीं प़ड़ता। आपके आगे रोने का भी कोई फायदा नहीं। आप मजे से तमाशा देखते रहेंगे। लेकिन मेरे लिए तो यह वजूद और निष्ठा का सवाल था। अब तो यही लगता है कि इतनी मशक्कत के बाद भी यहां से इतना नहीं मिलनेवाला जिससे अपना और अपने घर का गुजारा चल जाए तो अर्थकाम नाम के खटराम को क्यों चलाया जाए?औरऔर भी