हर दिन हमारे अपने शेयर बाज़ार मं डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए इधर से उधर होते हैं। ब्रोकर समुदाय तो इस पर 0.1% का कमीशन भी पकड़ें तो हर दिन मजे से 200 करोड़ रुपए बना लेता है। लेकिन हमारे जैसे लाखों लोग ‘जल बिच मीन पियासी’  की हालत में पड़े रहते हैं। बूंद-बूंद को तरसते हैं। सामने विशाल जल-प्रपात। लेकिन हाथ बढ़ाकर पानी की दो-चार बूंद भी नहीं खींच पाते। पास जाएं तो जल-प्रपात झागऔरऔर भी

हमारी सोच में कुछ जन्मजात दोष हैं, जिनको दूर किए बगैर हम ट्रेडिंग में कतई कामयाब नहीं हो सकते। चूंकि अपने यहां इन सोचगत व स्वभावगत दोषों को दूर करने की कोई व्यवस्था नहीं है और सभी इस खामी का फायदा उठाकर कमाना चाहते हैं तो हम में ज्यादातर लोग घाटे पर घाटा खाते रहते हैं। किसी को हमें घाटे से उबारने की नहीं पड़ी है। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी बड़ी-बड़ी बातें ज़रूर करती है, लेकिनऔरऔर भी