पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी सरकार को उन 500 से ज्यादा कंपनियों के नाम उपलब्ध कराएगी जिन्होंने सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) के नियमों को तोड़ते हुए निवेशकों से भारी धन जुटाया है। सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट (पीटीआई) के संवाददाता को बताया कि ऐसी कंपनियों के निदेशकों के नाम भी कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) को दिए जाएंगे ताकि इन कंपनियों और लोगों को किसी नई कंपनी के साथ जुड़ने से रोका जाऔरऔर भी

कंपनियों के सामने चुनौती होती है साल दर साल ही नहीं, हर तिमाही लगातार बढ़ते रहने की। कभी 15 तो कभी 20 फीसदी या इससे भी ज्यादा तो और भी अच्छा। किसी तिमाही झटका लगा तो हम-आप मुंह बनाने लगते हैं कि कैसी कंपनी है जो बढ़ती नहीं। निरंतर विकास की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजार, खासकर शेयर बाजार अस्तित्व में आया। लेकिन धीरे-धीरे यह लोगों की बचत को खींचने का नहीं, लूटनेऔरऔर भी

जिस तरह ज्यादातर कंपनियों के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) कुछ ही समय बाद अपने इश्यू मूल्य से बहुत नीचे खिसक जाते हैं और लिस्टिंग के दिन में उनमे जबरदस्त ऊंच-नीच होती है, उसने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को आखिरकार कुछ ठोस कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। सेबी ने आईपीओ के मूल्य में मर्चेंट बैंकरों की जवाबदेही तय करने के लिए उनके द्वारा संचालित पुराने आईपीओ का हाल बताना जरूरी कर दिया है। इस सिलसिले मेंऔरऔर भी

हमारे शेयर बाजार और शेयरों का हाल निराला है। ठीक जिस दिन रेजिन निर्माता कंपनी भंसाली इंजीनियरिंग पॉलिमर्स के खिलाफ उसके आम शेयरधारकों ने कंपनी लॉ बोर्ड (सीएलबी) में धांधली व वित्तीय अनियमितता का मामला दर्ज कराया और सीएलबी ने अंतरिम राहत के तौर पर प्रवर्तकों की सहयोगी कंपनी जागृति रेजिंस का नाम कंपनी रजिस्ट्रार, मुंबई के रिकॉर्ड से निकाल देने को कहा, उसी दिन भंसाली इंजीनियरिंग का शेयर बीएसई में 15.95 फीसदी और एनएसई में 16.45औरऔर भी

बाजार में मिड कैप स्टॉक्स की चर्चा जोरशोर से चल पड़ी है। हर 5 सेकंड पर कोई न कोई सूचना आ जाती है और इनमें से ज्यादातर खबर बन जाती हैं। यह न केवल बाजार के लिए, बल्कि निवेशकों के लिए भी शुभ संकेत है। बी ग्रुप के शेयरों में रैली शुरू हो गई है। उन तमाम रिटेल निवेशकों को अब इनसे निकलने का मौका मिल जाएगा जिन्होंने इन्हें ऊंचे भाव पर खरीदा था। दरअसल, यह एकऔरऔर भी

खबर पक्की है सिटी ने कुछ स्टॉक्स बेच डाले हैं। फिर भी घबराने की कोई जरूरत नहीं। दरअसल, एफआईआई को अपने विदेशी आधार के चलते इस तरह की सूचनाएं पहले मिल जाती है जो हमेशा स्थानीय खिलाड़ियों या घरेलू निवेशकों को काफी नुकसानदेह स्थिति में डाल देती है। आज बाजार में सुबह से ही ज्वार-भाटे की हालत है। महज आधे घंटे में निफ्टी 36 अंक और सेंसेक्स 115 अंक का गोता लगा गया। उसके बाद बाजार जितनाऔरऔर भी

इनफोसिस ने भारत के बारे में धुरंधरों का नजरिया बदल दिया है। जानीमानी निवेश व ब्रोकिंग फर्म सीएलएसए और कुछ दूसरे विश्लेषकों ने भारतीय बाजार को डाउनग्रेड कर दिया है। लेकिन जान लें कि इनफोसिस में बिकवाली इसलिए नहीं हुई कि उसके नतीजे उम्मीद से कमतर थे, बल्कि इसकी कुछ दूसरी वजहें थीं। इसके फ्यूचर्स में औकात से ज्यादा कर लिए गए सौदे काटे जा रहे हैं। अभी तो हम इनफोसिस में अच्छा-खासा मूल्य देख रहे हैंऔरऔर भी

बड़े ही दुख की बात है कि निवेशकों व ट्रेडरों को हमेशा इस बाजार में बलि का बकरा बनाया जाता है। एक बुरा नतीजा आया नहीं कि एफआईआई स्टॉक्स को बाजार भाव से 10 फीसदी नीचे पर बेचना शुरू कर देते हैं। हालांकि मैं अभी तक इस बात को लेकर अचंभित रहा हूं कि इनफोसिस कैसे अपने मूल्यांकन को 30 के पी/ई अनुपात पर टिकाए हुए है। इस दौरान हमें अपनी रिसर्च डेस्क से पर्याप्त संकेत भीऔरऔर भी

हमने एक बार फिर साबित कर दिया है कि एफआईआई भारतीय बाजार को क्यों पसंद करते हैं। इसलिए कि वाजिब तंत्र के न होने और देश के रिटेल व छोटे निवेशकों को अहमियत न दिए जाने के चलते वे जब चाहें, बाजार को अपने हिसाब से नचा सकते हैं। आज समूची दुनिया के बाजारों में माहौल नकारात्मक था। दलाल स्ट्रीट भी बुरे दिन की उम्मीद किए बैठा था। लेकिन भारतीय बाजार में तेजी का चक्र चल गया।औरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी शेयर बाजार के सौदों पर नजर रखने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने लगी है। साथ ही वह अपने निगरानी विभाग में ऐसा सॉफ्टवेयर टूल लगा रही है जिससे फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर शेयरों को लेकर पेश की गई सूचनाओं व टिप्स का विश्लेषण किया जाएगा। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट के मुताबिक सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे बताया कि नया सॉफ्टवेयर फेसबुक व ट्विटर जैसीऔरऔर भी