राजनीतिक आंदोलन में व्यक्ति व्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक भावनाओं का प्रतीक होता है। ऐसे में व्यक्ति की खामियां निकालने वाले लोग अपनी नादानी में जनता नहीं, सत्ता के पाले में जा खड़े होते हैं।और भीऔर भी