भारत नहीं भाता तो खाड़ी जा खपो!
जहां तक भारतीय बाजार का ताल्लुक है तो उसको लेकर ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। फिलहाल ट्रेडर भाई लोग सेटलमेंट की शुरूआत में यूरोप व अमेरिका के संकट और भारत सरकार की उधारी बढ़ जाने की खबर पर और ज्यादा शॉर्ट पोजिशन बनाने में जुट गए हैं। इसी वजह से बाजार में गिरावट का दौर चला है। मुझे नहीं समझ में आता है कि ऐसे में बहुत ज्यादा मंदी की धारणा पालने की कोई वजह बनतीऔरऔर भी
संकट अकेले का नहीं, हम सबका है: वित्त मंत्री
यूरोप सहित तमाम विकसित देशों में गहराते वित्तीय संकट और घरेलू अर्थव्यवस्था की मंद पड़ती रफ्तार से चिंतित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को वैश्विक समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और स्थिति से मिलकर निपटना होगा। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के शोध से जुडी भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) के एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने अलग से कहा कि लगातार निराशाजनक समाचार मिल रहे हैं। पहले हमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांकऔरऔर भी
सोना गिरवी था, उत्ता सस्ता सेंसेक्स
एक बार फिर मैंने बाजार को जबरदस्त निराशा के आगोश में डूबा हुआ देखा। इतनी निराशा कि लोगों को केवल घाटी दिख रही है, ठीक वहीं से उठता पहाड़ नहीं दिख रहा। माना कि वैश्विक मसलों ने भारतीय बाजार को घेर रखा है और सेंसेक्स को 16,000 तक गिरा डाला है। लेकिन यह ऐसा स्तर है जहां से बहुतों को भारतीय शेयरों में कायदे का मूल्य नजर आ रहा है। यही वजह है कि आज निफ्टी मेंऔरऔर भी
मॉरीशस के हल्ले ने निकाला दिवाला
सुबह बाजार खुलने पर धीमी गिरावट चल रही थी कि दस बजे के आसपास एक बिजनेस चैनल ने खबर चला दी कि सरकार मॉरीशस से साथ टैक्स-संधि पर पुनर्विचार कर रही है और मॉरीशस से भारत में हुए निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाया जा सकता है। फिर क्या था! बाजार खटाक से 3 फीसदी नीचे गिर गया। खबर आते ही तमाम शेयरों पर हमला शुरू हो गया भले ही उनमें मॉरीशस के जरिए आया धन लगाऔरऔर भी
तिनका-तिनका डूब तो उछलेंगे ज़रूर
अच्छी बात है कि निफ्टी अब गिरकर बाजार के उस्तादों के मनोवांछित टेक्निकल स्तर पर आ गया है। फिलहाल बाजार ओवरसोल्ड अवस्था में है। यह तेजडियों के लिए सुनहरा मौका है कि वे निफ्टी को 200 अंक तक उठाकर जबरदस्त मुनाफा कमाने की सूरत निकाल लें। हमें निफ्टी की इस गति का अहसास था और हमने खुद को खास-खास सूचनाओं वाले चुनिंदा स्टॉक्स पर केंद्रित किया। ये स्टॉक गिरते बाजार में भी निश्चित रूप से बढ़ रहेऔरऔर भी
भागती कंपनी की डीलिस्टिंग ही भली
बाजार में भयंकर निराशा का आलम है। निफ्टी 5400 से भी नीचे जा चुका है। विदेशी निवेशकों की तरफ से डंका बजाया जा रहा है कि अगर यह 5300 के नीचे चला गया तो फिर इसे 4700 तक गिरने से रोक पाना मुश्किल होगा। लेकिन इस निराशा के बीच भी आम निवेशकों के लिए नोट बनाने का एक सुनहरा पक्ष उभर रहा है। अभी तक चार बहुराष्ट्रीय कंपनियां डीलिस्टिंग की घोषणा कर चुकी हैं। फिर भी वेऔरऔर भी
निराशा की क्षय, आशावाद की जय
हम लीक से हटकर सोचते और बोलते रहे। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति एक दृढ़ व सकारात्मक धारणा पर डटे रहे। आज हम सही साबित हो गए। सेंसेक्स व निफ्टी दोनों करीब ढाई फीसदी की बढ़त ले चुके हैं। निफ्टी निर्णायक तौर पर 5600 के पार चला गया। इस महीने ऐसा हो जाएगा, इसकी कल्पना तक बाजार के भाई लोगों ने कतई नहीं की थी। हर कोई बाजार के डूबने की ही भविष्यवाणी कर रहा था। स्थिति यहऔरऔर भी
दुखी आत्माओं से विनम्र दरख्वास्त
समझ में नहीं आता इन दुखी आत्माओं का क्या करूं? एक दुखी आत्मा ने लिखा है, “हेलो! आप यहां हर वक्त लिखते हैं कि मार्केंट मजबूत रहेगा। लेकिन हर वक्त वो नीचे ही नीचे जा रहा है। आपने लिखा था कि 6200 से 7000 तक निफ्टी जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर आपको सही मालूम होता तो क्यों नहीं आप सबको बोलते कि निफ्टी 4500 तक जाएगा। जब निफ्टी 6200 था तब सब अपना बेच देते औरऔरऔर भी