थोक के भाव खरीदना और रिटेल के भाव बेचना। इनवेंट्री कम से कम रखना। वॉलमार्ट से लेकर आम व्यापारी के मुनाफे का यही सलीका है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने का भी यही सूत्र है। लेकिन हम करते हैं इसका उल्टा। यहां-वहां की एनालिसिस छलावा है। कुछ कौड़ियां पकड़ाकर वो महज भटकाती है। असल मुद्दा यह है कि शेयरों के थोक भाव और रिटेल भाव को पकड़ा कैसे जाए? बताएंगे आपको। पहले आज का बाज़ार।औरऔर भी

हाल में मिडकैप व स्मॉलकैप स्टॉक्स जमकर धुने गए हैं। इस साल बीएसई मिडकैप सूचकांक अब तक 14% गिरा है, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 21% टूटा है। बहुत सारी बातों के अलावा इसकी एक खास वजह यह डर था कि पूंजी बाजार नियामक, सेबी ब्रोकरों व प्रवर्तकों की मिलीभगत की जांच कर रही है। असल में शेयर बाज़ार है तो बुद्धि का खेल, पर चलता है डर व लालच की भावना से। आज क्या रहेगा बाज़ार का हाल?औरऔर भी

शेयर बाजार किसी इलाहाबाद का मीरगंज, दिल्ली का श्रद्धानंद मार्ग या मुंबई का कमाठीपुरा नहीं है कि गए और चोंच मारकर आ गए। यहां रिश्ते चंद रातों के नहीं, सालों-साल के बनते हैं। यहां के रिश्ते एकतरफा भी नहीं होते। दोनों पक्षों को भरपूर मिलता है। न मिले तो सब कुछ टूट जाता है, सारा औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। यह करीब पांच सौ साल पहले उत्तरी यूरोप से शुरू हुआ वो जरिया है जिससे व्यक्तियोंऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बराबर बढ़ा रहा है, फिर भी मुद्रास्फीति पर लगाम नहीं लग रही। हां, इससे आर्थिक विकास की रफ्तार पर जरूर लगाम लगती दिख रही है। बाजार को यह कतई पसंद नहीं और वो किसी न किसी बहाने लार्सन एंड टुब्रो, इनफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), एसबीआई व मारुति सुजुकी जैसी ऊंची विकास दर वाली कंपनियों को भी लपेटे जा रहा है। रिलायंस का स्टॉक दो साल के न्यूनतम स्तर पर आ चुका है।औरऔर भी

पहले नाम बड़ा था – गुजरात हैवी केमिकल्स लिमिटेड। अब छोटे में जीएचसीएल लिमिटेड हो गया है। 1988 से चल रही कंपनी है। रसायनों से लेकर टेक्सटाइल्स तक में सक्रिय है। 2009-10 में 1213.96 करोड़ रुपए की बिक्री पर 140.85 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में दिसंबर तक के नौ महीनों में उसकी बिक्री 1051.05 करोड़ और शुद्ध लाभ 91.18 करोड़ रुपए रहा है। अगर ठीक पिछले बारह महीनों की बातऔरऔर भी

भारत युवाओं का देश, जहां की 65 फीसदी आबादी 35 साल के नीचे की है। इस युवा देश की नई पीढी खुली और तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के साथ जवान हुई है। इसी माहौल में पला-बढ़ा हमारा नया निवेशक भी देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। पर ज्यादातर कामयाब नहीं हो पाता। कारण वित्तीय जानकारी या साक्षरता का अभाव। सब कुछ बदल चुका है या बदलाव पर है। सोच से लेकर दिनचर्या, नियामक से लेकर नियम,औरऔर भी

बालाजी अमीन्स स्मॉल कैप कंपनी है। बीएसई के बी ग्रुप में है। उसका कुल बाजार पूंजीकरण 162 करोड़ रुपए है। कंपनी की कुल इक्विटी 6.48 करोड़ रुपए है जो पहले 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बंटी थी, लेकिन 18 नवंबर 2010 से इन्हें 2 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बांट दिया गया है। इसका 53.88 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों और 46.12 फीसदी हिस्सा पब्लिक के पास है। उसका शेयर शुक्रवार को बीएसई (कोड – 530999)औरऔर भी

मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों के शेयर बढ़ते ही हैं। हमने इसी कॉलम में 1 जुलाई 2010 को वी-गार्ड इंडस्ट्रीज की चर्चा की थी। तब उसका भाव 102 रुपए था। नौ महीनों में यह बढ़कर 190 रुपए पर पहुंच गया है। इस बीच 11 नवंबर 2010 को यह 215 रुपए की ऊंचाई भी छू चुका है। रिटर्न की गणना आप खुद कर लीजिए। इसलिए बाजार से चुन-चुनकर मजबूत शेयर पकड़ते रहना चाहिए। वक्त के साथ वे अच्छाऔरऔर भी

हमारा शेयर बाजार किसी द्वीप पर नहीं, बल्कि इसी समाज में है। इसलिए जब समाज में अच्छे लोगों की कद्र नहीं है और दंद-फंद वाले लोगों की ही चलती है तो कैसे संभव है कि शेयर बाजार में ऐसा न हो। आज चर्चा एक ऐसी ही अच्छी, पर उपेक्षित कंपनी पॉलिप्लेक्स कॉरपोरेशन की। फ्लेक्सिबल पैकेजिंग उद्योग की इस कंपनी का शेयर कल बीएसई (कोड – 524051) में 3.23% गिरकर 205.45 रुपए और एनएसई (कोड – POLYPLEX) मेंऔरऔर भी

मित्रों! मैं बड़े-चढ़े दावे नहीं करना चाहता। यह भी नहीं जानता कि यह एकालाप है या संवाद। लेकिन मेरी कोशिश यही है कि अपनी भाषा में वह सहज ज्ञान आपको उपलब्ध करवा दूं ताकि आप अपनी बचत को सही तरीके से निवेश करने का हुनर सीख लें, कोई आपको बड़े-बड़े झांसे देकर उल्लू न बना सके और आप जोखिम उठाएं तो आंखें मूंदकर नहीं, आंखें खोलकर। एक बहुत मोटा-सा सूत्र है कि जब तक आप किसी स्टॉकऔरऔर भी