किसी समस्या का विकराल या मामूली लगना इससे तय होता है कि हम सो रहे हैं या जग रहे हैं। सोते वक्त जरा-सी समस्या भी भयावह लगती है। इसलिए पहले नींद से निकलें, फिर समस्या से लड़ाएं पंजा।और भीऔर भी

जब तक जगे रहे, ज़िंदा रहे। सो गए तो मर गए। फिर जगे तो नया जीवन। ज़िदगी को यूं जागने-सोने के चक्र में बांटना अच्छा लगता है। लेकिन हो कहां पाता है क्योंकि कोशिकाओं तक की अपनी यादें होती हैं।और भीऔर भी