शेयर बाज़ार में लालच के भाव से उतरना गलत ही नहीं, घातक है। निवेश का मकसद अपनी बचत को समय की मार से बचाना है। जो समय पर सवारी कर रहे हैं, बचत को उन्हीं की पीठ पर रखकर हम निश्चिंत हो जाते हैं। वहीं, ट्रेडिंग शुद्ध रूप से नए ज़माने का बिजनेस है। इसमें बहुत कुछ नया है। तकनीक है, तरीके हैं। इन्हें सीखना-समझना है। वरना है तो मूलतः व्यापार। अभी की हालत बड़ी चित्र-विचित्र है…औरऔर भी

कोई अपने फायदे के लिए नोट छापे तो गुनाह है। लेकिन केंद्रीय बैंक नोट पर नोट छापता जाए और दावा करे कि वह ऐसा देश और देश की अर्थव्यवस्था के कल्याण के लिए कर रहा है तो उसे सही मान लिया जाता है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बरनान्के यही कर रहे हैं, किए जा रहे हैं। तीन महीने पहले 13 सितंबर को उन्होंने क्यूई-3 या तीसरी क्वांटिटेटिव ईजिंग की घोषणा की थीऔरऔर भी

बाजार न तो आपको वश में है और न ही आपके विचार हर बार बाजार को पकड़ पाते हैं। इसलिए अहम मसला बाजार पर सवारी गांठना नहीं, बल्कि यह है कि बाजार से कमाने के लिए आप कैसे उसे छकाते हैं। किसी ने बाजार के बर्ताव के बारे में बड़ी अच्छी पंक्तियां लिखी हैं। जरा गौर फरमाइए… “हम कभी नहीं जानते कि आगे क्या होने वाला है। बाजार लगातार गतिशील है और अनिश्चितता का समुंदर है। अगरऔरऔर भी