अपने तक सीमित। खूंटे से बंधी ज़िंदगी। परोक्ष रूप से तंतुओं के तंतु भले ही ग्लोबल हो गए हों, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से रिश्ते बहुत सिकुड़ गए हैं। ऐसे में हांकनेवालों की मौज है क्योंकि किसी को सिर उठाकर उनकी तरफ झांकने की फुरसत ही नहीं है।और भीऔर भी

जब हम किसी के काम की तारीफ करते हैं तो परोक्ष रूप से उसे जिम्मेदार बनाते हैं। उसे लगता है कि एक गलत कदम भी दूसरों का भरोसा तोड़ सकता है। इसलिए वह बराबर सतर्क व सावधान रहता है।और भीऔर भी

सपनों की तरह हमारी अंतःप्रेरणा भी कहीं आसमान से नहीं टपकती। वह हमारे प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से संचित अनुभवों से निकलती है। इसलिए कोई अदृश्य प्रभाव जान उसे हमेशा सही मानने का कोई तुक नहीं है।और भीऔर भी