मनोरंजन का सच्चा साधन तो हमारे सपने हैं जिनका फलक बढ़ाते रहना जरूरी है। इसलिए जमकर जानो ताकि यथार्थ के हर पहलू को छू सको और जमकर सोओ ताकि सपने हर पहलू को नया विन्यास दे सकें।और भीऔर भी

।।चंद्रभूषण।।* अट्ठारह साल के एक नौजवान ने अपने पिता को लिखे पत्र में बड़े उत्साह से अपने रिसर्च टॉपिक के बारे में बताया। जवाब में भेजी गई चिट्ठी में पिता ने लिखा, “बेटे, समानांतर रेखाओं के फेरे में तो तुम हरगिज न पड़ना। यह रास्ता मेरे लिए अच्छी तरह जाना-बूझा है। न जाने कितनी अंतहीन रातें जागकर मैंने इसकी थाह लेने की कोशिश की है लेकिन मेरे जीवन की सारी रोशनी, मेरी सारी खुशी इस प्रयास मेंऔरऔर भी