कामयाबी के लिए हर क्षेत्र के कुछ नियम-धर्म हैं। शेयर बाज़ार का नियम यह है कि यहां जितना भी धन लगाना हो, उसका 50-60% लार्ज, 25-30% मिड और 5-10% स्मॉल कैप कंपनियों में लगाना चाहिए। स्मॉल व मिड कैप कंपनियों के शेयर बढ़ते बड़ी तेज़ी से हैं तो लालच उनकी तरफ धकेलता है। लेकिन उनके गिरने का खतरा भी ज्यादा है तो सुरक्षित निवेश का नियम निकाला गया। इस बार एक लार्ज कैप कंपनी में निवेश कीऔरऔर भी

दिल्ली में मेरे एक पुराने परिचित हैं। यूं तो हम लोग एक ही कमरे में कई साल तक रहे हैं। लेकिन उन्हें मित्र कहना मैं मुनासिब नहीं समझता। उनका दावा है कि उनको देर रात कोलकाता से एफआईआई व म्यूचुअल फंडों की खरीद की खबर मिल जाती है। यही तरीका है शेयरों की चाल को समझने का। बाकी सब फालतू है। मेरा मानना है कि एफआईआई या डीआईआई के पीछे भागना फालतू है। अब लंबे निवेश कीऔरऔर भी

किताबों से लेकर बिजनेस स्कूलों तक में पढ़ाया जाता है कि संभावनामय व मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचो। लेकिन सबसे अहम मुद्दा है यह पता लगाना कि कोई मजबूत संभावनामय कंपनी सस्ते में मिल रही है या नहीं। मित्रों! शायद आपसे दोबारा मिलने में थोड़ा वक्त लग जाए, इसलिए यहां कुछ सूत्र और कंपनियों के नाम फेंक रहा हूंऔरऔर भी

प्राइमरी बाजार ही वह चौराहा है, वो दहलीज है, जहां निवेशक पहली बार कंपनी से सीधे टकराता है। प्रवर्तक पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के जरिए निवेशकों के सामने अपने जोखिम में हिस्सेदारी की पेशकश करते हैं। निवेशक खुद तय करके अपने हिस्से की पूंजी दे देता है। फिर कंपनी सारी पूंजी जुटाकर अपने रस्ते चली जाती है और निवेशक अपने रस्ते। निवेशक की पूंजी चलती रही, कहीं फंसे नहीं, तरलता बनी रहे, कंपनी के कामकाज़ कोऔरऔर भी

एचडीएफसी बैंक धंधे के मामले में देश में निजी क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है। आईसीआईसीआई बैंक इससे ऊपर है। लेकिन बाजार पूंजीकरण में यह उससे भी ऊपर है। एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण इस वक्त 1,02,320 करोड़ रुपए है, वहीं आईसीआईसीआई बैंक का 89,762 करोड़ रुपए। दोनों ही बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में शामिल शेयर हैं। लेकिन जिस तरह अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की कुदृष्टि हमारे बैंकिंग सेक्टर पर पड़ी है, उसमें हो सकता हैऔरऔर भी

कभी सोचा है आपने कि हर निवेशक वॉरेन बफेट बनना चाहता है और भारत ही नहीं, दुनिया भर में हजारों लोग वॉरेन बफेट की तरह निवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनमें से इक्का-दुक्का ही यह हुनर और कामयाबी हासिल कर पाते हैं। इसका कोई जादुई नहीं, सीधा-सरल कारण है। पहले कुछ उदाहरणों पर नजर। उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट में जो निवेश किया, वह 38 सालों में 73 गुना हो गया। कोकाकोला में अपना निवेश उन्होंनेऔरऔर भी

पैसे का कोई पेड़ नहीं लगता कि गए और तोड़कर आ गए। यह किसी भी दौर के व्यापकतम सामाजिक अंतर्संबंधों में व्याप्त विनियम मूल्य का मूर्त स्वरूप है। यह सोमनाथ के ऐतिहासिक मंदिर में शिव की मूर्ति की तरह हवा में लटका हुआ दिख सकता है। लेकिन इसका पोर-पोर किसी न किसी ने दांतों से दबा रखा है। अंग्रेजी में कहावत है कि कहीं कोई फ्री लंच नहीं होता। इसलिए शेयर बाजार को पैसा बनाने का आसानऔरऔर भी

पीआई इंडस्ट्रीज के बारे में जब हमने छह महीने पहले पहली बार यहां लिखा था, तब कंपनी एक कसमसाहट के दौर से गुजर रही थी। पॉलिमर इकाई को बेचकर वह खुद को ट्रिम व स्लिम बनाने में लगी थी। तब उसके दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 526.55 रुपए था। अब उसके पांच रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 582.55 रुपए है। दस रुपए का अंकित मूल्य मानें तो भाव हुआ 1165.10 रुपए। छहऔरऔर भी

रीको ऑटो इंडस्ट्रीज दोपहिया से लेकर चार-पहिया वाहनों के कंपोनेंट बनानेवाली बड़ी कंपनी है। कितनी बड़ी, इसका अंदाजा कंपनी के धारुहेड़ा, मानेसर व गुड़गांव के संयंत्रों को देखकर लगाया जा सकता है। हीरो मोटोकॉर्प से लेकर मारुति तक की बड़ी सप्लायर है। आज से नहीं, करीब पच्चीस सालों से। लेकिन 2006 से ही उसके सितारे गर्दिश में हैं। पहले मजदूरों की 56 दिन लंबी हड़ताल हुई। फिर दुनिया के वित्तीय संकट ने भारत को आर्थिक सुस्ती मेंऔरऔर भी

आज फंडामेंटल और लांग टर्म गया तेल लेने। आज हम एकदम शॉर्ट टर्म में फायदा दिलानेवाले ऐसे स्टॉक की चर्चा करेंगे जो वित्तीय आंकड़ों के दम पर खास आकर्षण नहीं पैदा करता। लेकिन बाजार के उस्तादों के मुताबिक इसमें मुनाफा कमाने की गुंजाइश पक्की है। आइनॉक्स के मल्टीप्लेक्सों का नाम तो आपने सुना ही होगा। जाकर सिनेमा भी देखा होगा। इसे संचालित करनेवाली कंपनी का नाम है – आइनॉक्स लीज़र। बीते हफ्ते गुरुवार, 11 अगस्त को इसनेऔरऔर भी