पैसा और पूंजी
जिसके पास पैसा है, उसके पास पूंजी हो, जरूरी नहीं। जिसके पास पूंजी है, वह अमीर हो, जरूरी नहीं। पैसा उद्यम में लगता है तो पूंजी बनता है। दृष्टि सुसंगत बन जाए, तभी पूंजी किसी को अमीर बनाती है।और भीऔर भी
हेलो-हाय, बाय-बाय
पैसा रिश्तों में दरार नहीं डालता। पैसा तो असली रिश्तों की पहचान कराता है। अगर कोई आपके पैसे खा जाए तो समझ लीजिए कि वह आपका असली दोस्त कभी नहीं था। बस हेलो-हाय, बाय-बाय था।और भीऔर भी
रिश्तों की कद्र
जो लोग रिश्तों और दूसरे लोगों की कद्र नहीं करते, उनका हश्र नितांत अकेलेपन और घुटन में होता है। हो सकता है कि वे बहुत ज्यादा पैसे कमा लें। लेकिन पैसे से प्यार तो छोड़िए, खुशी का धेला तक नहीं खरीदा जा सकता।और भीऔर भी
ज्ञान और मधु
पैसा बांटने से घटता है। लेकिन ज्ञान को जितना बांटों, बढ़ता जाता है। ज्ञान तो शहद की तरह है। फूल से निकलता है तो बढ़ता ही है। मधुमक्खियां उसे ले जाकर पूरा छत्ता ही बना लेती हैं।और भीऔर भी