प्यार और प्रकृति
जीने के साधनों की सौदेबाज़ी में ज़िंदगी इस कदर निचुड़ जाती है कि हम जीने लायक ही नहीं बचते। हालांकि चाहें तो हम इनके बगैर भी मजे से जी सकते हैं। इसके लिए दो ज़रूरी चीजें हैं प्यार और प्रकृति, जहां सिर्फ समर्पण चलता है, सौदेबाज़ी नहीं।और भीऔर भी
प्यार का मोल
प्यार नहीं कर सकते तो प्यार का मोल तो समझो। उसकी कद्र तो करना सीखो। दे नहीं सकते तो देनेवाले का सम्मान तो करो। नहीं तो किसी दिन अपनों को तरस जाओगे और कोई पुछत्तर तक नहीं होगा।और भीऔर भी
बाजार में 1.5%, पर असर 40% पर
बाजार दो साल के न्यूनतम स्तर को छूकर लौटा है। इस मुकाम पर निवेशकों के विश्वास को फिर से जमाना एकदम टेढ़ी खीर है। बल्कि अभी का जो माहौल है, उसमें हालात के और बदतर होते जाने के ही आसार हैं। सरकार के बयान और कदम बेअसर हैं क्योंकि वे खोखले हैं और उनकी दिशा भी सही नहीं है। आपूर्ति को संभालकर एमसीएक्स में हस्तक्षेप के जरिए कमोडिटी के भाव थामे जा सकते थे। वहीं, करेंसी डेरिवेटिव्सऔरऔर भी