भारतीय बैंकों में इस समय स्टाफ की भारी कमी है। हालत यह है कि ज्यादातर ब्रांचों में मैनेजर आठ बजे रात से पहले घर नहीं जा सकते। यह कहना है देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन प्रतीप चौधरी का। चौधरी मंगलवार को मुंबई में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित सालाना सम्मेलन फायबैक-2012 में बोल रहे थे। इसी सम्मेलन में बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप (बीसीजी) की तरफ से भारतीयऔरऔर भी

इस समय बैंकों के करीब 2.98 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) के रूप में पड़े हैं, जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता। ताजा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों की कुल जमा इस समय 62,82,350 करोड़ रुपए है। इसका 4.75 फीसदी उन्हें हर समय बतौर सीआरआर रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ता है। इसलिए अगर देश के सबसे बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने सीआरआर को खत्म करनेऔरऔर भी

जिस तरह रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश के सबसे बैंक एसबीआई को डाउनग्रेड किया है, उससे उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग गया है। मूडीज ने कहा है कि एसबीआई का एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियां) या डूबत ऋण 12 फीसदी हो सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक के नियमों के तरह भारत में किसी बैंक का एनपीए कभी भी इतना हो नहीं सकता। इस समय जून 2011 की तिमाही के नतीजों के मुताबिक एसबीआई का एनपीए कुल ऋणों काऔरऔर भी

देश का सबसे बडा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस साल दिसंबर तक विदेशी ऋण से पांच अरब डॉलर जुटाने की सोच रहा है। यह ऋण एमटीएन (मीडियम टर्म नोट) कार्यक्रम के तहत हासिल किया जाएगा। एसबीआई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक प्रतीप चौधरी ने राजधानी दिल्ली में वित्त मंत्री के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक के इतर पत्रकारों से चर्चा में कहा कि आर्थिक विकास में तेजी आने पर यदि ऋण कीऔरऔर भी