केंद्र सरकार ने देश में गरीबी के आकलन और गरीबों की पहचान के नए तौर-तरीके सुझाने के लिए एक अलग विशेषज्ञ दल बनाने का फैसला लिया है। यह दल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख डॉ. सी रंगराजन की अध्‍यक्षता में बनाया जाएगा। इसमें कई जानेमाने अर्थशास्त्री शामिल है। इनमें प्रमुख हैं: इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्‍थान के निदेशक डॉ. महेन्‍द्र देव, दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनोमिक्‍स के पूर्व प्राध्‍यापक डॉ. के सुन्‍दरम, सीएमआईई के प्रमुख डॉ.औरऔर भी

मुद्रास्फीति की दर जनवरी में उम्मीद से कुछ ज्यादा ही घटकर 6.55 फीसदी पर आ गई है। यह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति का नवंबर 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक विकास दर के त्वरित अनुमान के घटकर 6.9 फीसदी रह जाने और मुद्रास्फीति के काफी हद तक काबू में आ जाने के बाद रिजर्व बैंक पर इस बार का दबाव बढ़ जाएगा कि वह ब्याज दरोंऔरऔर भी

इक्कीस साल एक महीने पहले सितंबर 1990 से देश में बैंकों की ब्याज दरों को बाजार शक्तियों या आपसी होड़ के हवाले छोड़ देने का जो सिलसिला हुआ था, वह शुक्रवार 25 अक्टूबर 2011 को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा के साथ पूरा हो गया। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने ऐलान किया, “अब वक्त आ गया है कि आगे बढ़कर रुपए में ब्याज दर को विनियंत्रित करने की प्रकिया पूरी करऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय से लेकर पूरी सरकार को चिंता सताए जा रही है कि कहीं ब्याज दरें बढ़ने से देश की आर्थिक व औद्योगिक विकास दर और धीमी न पड़ जाए। इसलिए वे चाहते थे कि ब्याज दरें अब न बढ़ाई जाएं। लेकिन ऊपर-ऊपर मंत्री से लेकर सलाहकार तक रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को रेपो व रिवर्स रेपो दरों में 0.25 फीसदीऔरऔर भी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन की निराशाजनक रफ्तार को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के औद्योगिक वृद्धि के अनुमान की समीक्षा करनी होगी। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर मात्र 3.3 फीसदी रह गई है। परिषद के चेयरमैन ने सोमवार को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का आंकड़ा जारी होने के बाद कहा कि पूरे साल के औद्योगिक उत्पादन के अनुमान के संबंधऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति के दहाई अंक में पहुंचने के बावजूद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने भरोसा जताया है कि खाद्य उत्पादों की महंगाई दर अच्छे मानसून और बेहतर पैदावार के कारण कम हो जाएगी। परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने गुरुवार को कहा, “उम्मीद है कि मुद्रास्फीति आने वाले सप्ताहों में घटेगी क्योंकि मानसून अच्छा रहा है। हम मानसून के अंत के करीब पहुंच चुके है और संकेत मिल रहे हैं कि इस साल पैदावार अच्छी रहेगी।”औरऔर भी

जो लोग विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की पूंजी के दम पर शेयर बाजार में तेजी की आस लगाए हुए हैं, उनके लिए बुरी खबर है। अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश में एफआईआई निवेश घटकर मात्र 14 अरब डॉलर रह जाएगा। यह पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में आए 30 अरब डॉलर के एफआईआई निवेश का आधा भी नहीं है। यह अनुमान और किसी का नहीं, खुद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) का है।औरऔर भी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। उनका मानना है कि सेवा क्षेत्र और उद्योगों के विस्तार से यह आर्थिक वृद्धि दर हासिल हो सकती है, हालांकि कृषि क्षेत्र का योगदान घट सकता है। बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने 9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया। लेकिन रिजर्वऔरऔर भी