कपास से लेकर चीन तक के निर्यात पर मचे हॉचपॉच को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने खास-खास मंत्रियों की बैठक अगले सोमवार 30 अप्रैल को बुलाई है। इसमें कृषि मंत्री शरद पवार खाद्य मंत्री, खाद्य मंत्री के वी थॉमस, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी शामिल होंगे। यह जानकारी कृषि मंत्री शरद पवार ने आज, सोमवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि हमें कृषि उत्पादों के निर्यातऔरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगाह किया है कि भारत में आबादी के हिसाब से पहले से ही कम जल की उपलब्धता और कम होती जा रही है। इस देखते हुए अपने स्वामित्व वाली भूमि से भी मनमाफिक जल निकालने की छूट को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए जाने की सख्त जरूरत है। प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली में ‘भारत जल सप्ताह’ का उद्घाटन करते हुए बताया कि दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में है लेकिन उपयोगऔरऔर भी

नए साल के बजट प्रस्तावों पर सारी दुनिया में बेचैनी मची हुई है। दुनिया की ऐसी ढाई लाख से ज्यादा कंपनियों के प्रतिनिधि उद्योग व व्यापार संगठनों ने सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखकर बजट प्रस्तावों पर अपना ऐतराज जताया है। उन्होंने यह पत्र 29 मार्च को लिखा है। अंतरराष्ट्रीय जगत की कुछ ऐसी ही शिकायतों को लेकर ब्रिटेन के वित्त मंत्री जॉर्ज ओसबोर्न भी सोमवार को भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मिले।औरऔर भी

दुनिया में सबसे तेजी से उभरते पांच देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) का शिखर सम्मेलन गुरुवार को राजधानी दिल्ली में हो रहा है। दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले इन देशों के शीर्ष नेता ब्रिक्स की चौथी शिखरवार्ता के लिए जुट रहे हैं। इस बार शिखरवार्ता का केंद्रीय विषय थीम ‘वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए ब्रिक्स की साझेदारी’ तय किया गया है। चीन के राष्ट्रपतिऔरऔर भी

रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसके बाद तय हुआ कि रेल बजट 2012-13 पर जो भी चर्चा होगी, उसका जवाब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी देंगे। सोमवार से लोकसभा में रेल बजट पर चर्चा शुरू हो चुकी है। ये पहला मौका है जब अलग तरह के राजनीतिक हालात पैदा हो गए हैं। लिहाजा सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई कि रेल बजट परऔरऔर भी

यूपीए सरकार भले ही ढिंढोरा पीटती रहे कि उसने कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रखी है, लेकिन बजट 2012-13 के दस्तावेजों से साफ है कि वह केंद्रीय आयोजना व्यय का महज 2.71 फीसदी हिस्सा कृषि व संबंधित गतिविधियों पर खर्च करती है। नए वित्त वर्ष 2012-13 में कुल केंद्रीय आयोजना व्यय 6,51,509 करोड़ रुपए का है। इसमें से 17,692.37 करोड़ रुपए ही कृषि व संबंद्ध क्रियाकलापों के लिए रखे गए हैं। इन क्रियाकलापों में फसलों से लेकरऔरऔर भी

वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (जीडीएफटी) की अधिसूचना के जरिए कपास निर्यात पर तत्काल प्रभाव से जो बैन लगाया था, वह शुक्रवार शाम तक उठा लिया जाएगा। शुरुआती इजाजत 25 लाख गांठों के निर्यात की दी जाएगी। बुधवार को प्रधानमंत्री की हिदायत मिलने के बाद सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। शाम को वित्त मंत्रालय प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों का समूह अपनी बैठक में इस पर मोहर लगाने की औपचारिकताऔरऔर भी

कृषि मंत्री शरद पवार के बाद महाराष्ट्र व गुजरात के नेताओं के भी विरोध के चलते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कपास निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की समीक्षा का आदेश दिया है। बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के निर्देश पर विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इसी सोमवार, 5 मार्च को एक अधिसूचना जारी तक देश से कपास के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब प्रधानमंत्री ने कहा है कि 9 मार्चऔरऔर भी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खास अंदाज था कि वे देश की हर समस्या के पीछे विदेशी हाथ बता देती थीं। अब हमारे ताजा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी लगता है कि वही शॉर्टकट अपना लिया है। उन्होंने साइंस पत्रिका में शुक्रवार को छपे एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत में परमाणु संयंत्रों को लगाने के विरोध के पीछे अमेरिका के अ-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का हाथ है। आपको याद ही होगा कि महाराष्ट्र के जैतापुर केऔरऔर भी

कृषि व सम्‍बद्ध क्षेत्रों में सकल पूंजी निर्माण 2004-05 में सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का 13.1 फीसदी था, जबकि वित्त वर्ष 2010-11 तक यह बढ़कर 20.1 फीसदी हो गया है। कृषि व सम्‍बद्ध क्षेत्र मार्च 2012 में खत्म हो रही 11वीं योजना के दौरान 3.5 फीसदी की अनुमानित दर से बढ़ा है, जबकि 10वीं और 9वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विकास की दर क्रमशः 2.4 फीसदी और 2.5 फीसदी थी। यह आंकड़े हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनऔरऔर भी