मारुति सुजुकी का प्रबंधन 40 स्थाई कर्मचारियों को वापस लेने पर सहमत हो गया है। साथ ही 1200 अस्थाई कर्मचारियों को बहाल करने की बात भी स्वीकार कर ली है। इसके बाद शुक्रवार की सुबह कंपनी के मानेसर संयंत्र में पिछले 14 दिनों से जारी कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई। सुजुकी पावरट्रेन और सुजुकी मोटरसाइकिल में भी हड़ताल खत्म हो गई है। समझौते के मुताबिक, कर्मचारियों को हड़ताल के दौरान काम नहीं करने पर वेतन काऔरऔर भी

मारुति सुजुकी में जून से लेकर अब तक करीब 60 दिन तक चली हड़ताल से हरियाणा सरकार को 350 करोड़ रुपए की एक्साइज ड्यूटी और 35 करोड़ के सेल्स टैक्स का नुकसान हो चुका है। खुद मारुति को करीब 1540 करोड़ रुपए की चपत लगी है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि मारुति प्रबंधन कमर्चारियों की जिस यूनियन को मान्यता देता है, उसमें पिछले 11 सालों से गुप्त मतदान के जरिए कोई चुनाव नहीं हुए हैं।औरऔर भी

अब लाभ न कमानेवाली या मामूली लाभ कमानेवाली लिस्टेड कंपनी भी प्रबंधन से जुड़े प्रोफेशनल को बेधड़क हर महीने 4 लाख रुपए से ज्यादा का वेतन व भत्ता दे सकती है। इसके लिए उसे केंद्र सरकार से कोई इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी। अभी तक इससे पहले कंपनी को सरकार की मंजूरी लेना जरूरी था। लेकिन कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी एक्ट 1956 के संबंधित प्रावधान को ही अब बदल दिया है। कंपनी एक्ट 1956 के अनुच्छेद –औरऔर भी

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के मानेसर संयंत्र में हड़ताल जारी रहने से कारों का उत्पादन पूरी तरह से ठप है। हड़ताल का आज, सोमवार को दसवां दिन है। प्रबंधन और मजूदरों में आज भी बात चली। लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। हालांकि उत्पादन ठप रहने से मारुति के शेयर खास फर्क नहीं पड़ा है। आज उसमें 0.35 फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया, ‘‘बातचीतऔरऔर भी

प्रबंधन स्तर पर काम कर लोगों को कम छुट्टियां मिलने के मामले में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर है। यहां इस स्तर के कर्मियों को साल भर में औसतन 22 दिन की ही छुट्टी मिल पाती है। एक्सपीडिया के सर्वे के मुताबिक जापान इस सूची में सबसे ऊपर है जहां लोगों को 9 दिन ही छुट्टी मिल पाती है। इसके बाद अमेरिका (14 दिन) व ऑस्ट्रेलिया (16.5 दिन) का नंबर है। यूरोप में प्रबंधकों की मौजऔरऔर भी