बड़े लोग पैसे को दांत से दबाकर रखते हैं। बहुत सोच-समझकर चुनिंदा माध्यमों में लगाते हैं। वहीं, समझदार से समझदार नौकरीपेशा लोग भी शेयर बाजार के लंबा फासला बनाकर चलते हैं। किसान को तो हवा ही नहीं कि यह बाजार चलता कैसे है। बाकी जो लोग बचे हैं, जो कभी यहां से तो कभी वहां से थोड़ी-बहुत कमाई कर लेते हैं, वे उड़ती-उड़ती खबरों की तलाश में रहते हैं ताकि शेयर बाजार से ‘पक्की’ कमाई की जाऔरऔर भी

साल 2012 में बाजार का पहला दिन। हर ब्रोकरेज हाउस व बिजनेस अखबार नए साल के टॉप पिक्स लेकर फिर हाजिर हैं। चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प सामने हैं। ऐसे में आपको और क्यों उलझाया जाए! हालांकि अगर साल 2011 के टॉप पिक्स का हश्र आपके सामने होगा तो शायद आपने इस हो-हल्ले को कोई कान ही नहीं दिया होगा। इन पर ध्यान देना भी नहीं चाहिए क्योंकि ढोल, झांझ, मजीरा व करताल लेकर यह मंडलीऔरऔर भी

इनफोसिस, एचडीएफसी बैंक, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और इंडिया इनफोलाइन जैसी 45 से ज्यादा कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की शेयरधारिता प्रवर्तकों से ज्यादा हो गई है। स्टॉक एक्सचेंजों के पास उपलब्ध सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इनफोसिस की इक्विटी में एफआईआई की हिस्सेदारी 36.66 फीसदी है, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी उनसे 20.62 फीसदी कम 16.04 फीसदी ही है। इसी तरह एचडीएफसी बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 23.23 फीसदी है, जबकि एफआईआई का निवेश 29.30 फीसदीऔरऔर भी

पिछले दो हफ्तों में रेणुका शुगर्स के शेयर 40 फीसदी से ज्यादा सिर्फ इसलिए नहीं टूटे कि उसे सितंबर 2011 की तिमाही में 57.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, बल्कि इसलिए भी टूटे हैं क्योंकि प्रवर्तकों ने कंपनी में अपनी 38.06 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी का 42.03 फीसदी भाग गिरवी रखा हुआ है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के ताजा अध्ययन से खुलासा हुआ है कि ऐसी कुल 748 कंपनियां हैं जिनके प्रवर्तकों ने अपने शेयरऔरऔर भी

मुर्गा बांग न दे, तब भी सुबह का होना तो नहीं रुकता। इसी तरह सही सलाह न मिलने से लोगों का निवेश करना नहीं रुकता। वे भविष्य की सुरक्षा के लिए अपनी वर्तमान बचत को दांव पर लगाते रहते हैं, जोखिम उठाते रहते हैं। लेकिन कुछ तो नासमझी व लालच का तकाजा और बहुत कुछ हमारे नियामक तंत्र के लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के चलते हर दिन लाखों देशवासी करोड़ों गंवा रहे हैं। स्पीक एशिया तो एकऔरऔर भी

एक मोटी-सी बात गांठ बांध लें कि शेयरों का धंधा दुनिया का इकलौता धंधा है जो अकेले किया जाता है। दूसरों के चक्कर में पड़े तो समझिए कि खटिया खड़ी, बिस्तरा गोल। आप इस बात की भी तस्दीक करेंगे कि चैनलों या अखबारों में दी गई एनालिस्टों की दस में आठ सलाहें गलत होती हैं। इसलिए हमारी कोशिश आपको ‘चुटकी भर टिप्स, मुठ्ठी भर मंत्र’ देने की है ताकि आप अपने फैसले खुद कर सकें। हमारी सलाहऔरऔर भी

ज्ञान की बातें बाद में। पहले कुछ काम की बात। तिलकनगर इंडस्ट्रीज के बारे में जानना चाहते हैं लोग। दक्षिण भारत की इस शराब कंपनी का शेयर 20 जून को घटकर 30.50 रुपए पर आ गया। अभी शुक्रवार, 1 जुलाई को बीएसई (कोड – 507205) में 43.20 रुपए और एनएसई (कोड – TI) में 43.30 रुपए पर बंद हुआ था। बीते साल 10 नवंबर 2010 को यह शेयर 147.80 रुपए के शिखर पर था। हमने भी 24औरऔर भी

देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन कंपनी हीरो होंडा ने स्टॉक एक्सचेजों को भेजी सूचना में बताया है कि उसकी प्रवर्तक फर्म हीरो इनवेस्टमेंट्स प्रा. लिमिटेड (एचआईपीएल) ने कंपनी के 17.33 फीसदी शेयर छुड़वा लिए हैं जो उसने तीन निवेशकों के पास गिरवी रखे थे। कंपनी ने इन शेयरों के मूल्य का खुलासा नहीं किया, लेकिन बाजार में कंपनी के ताजा शेयर भाव को देखते हुए यह राशि लगभग 6450 करोड़ रुपए बैठती है। एनएसई को दीऔरऔर भी

यूं एक ही दिन में किसी शेयर का आधे से भी कम भाव पर आ जाना अकारण नहीं होता। अगर 7 जनवरी 2009 को सत्यम कंप्यूटर का शेयर 84 फीसदी गिरकर 188.70 रुपए से 30.70 रुपए पर आया था तो इसलिए कि उसी दिन रामालिंगा राजू ने कंपनी में किए गए फ्रॉड की घोषणा की थी। लेकिन 20 जून 2011 को जीटीएल के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था कि उसका शेयर 339.90 रुपए से 63.5औरऔर भी

चेन्नई की कंपनी जेमिनी कम्युनिकेशंस ने 13 मई को अपने सालाना नतीजे घोषित किए। कंपनी ने बढ़-चढ़कर बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी कुल आय 51 फीसदी बढ़ी और शुद्ध लाभ बढ़ा 98 फीसदी। प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) हो गया अब 6.04 रुपए। मार्च 2011 की तिमाही में कुल आय में 116 फीसदी और शुद्ध लाभ में 227 फीसदी इजाफा। नतीजों के हो-हल्ले के बीच 13 मई को यह शेयर एकबारगी 19.90 रुपए से 18.34 फीसदीऔरऔर भी