पुरानी निर्जीव चीजें समय बीतने के साथ या तो कचरा बन जाती है या एंटीक बनकर सजावटी हो जाती हैं। लेकिन ज्ञान का सजीव प्रवाह धूमिल भले ही पड़ जाए, कभी कचरा या एंटीक नहीं बन सकता।और भीऔर भी

काल की धारा में बहना आसान है, तैरना कठिन है। बहने के लिए कुछ नहीं करना होता। लेकिन तैरने के लिए सीखना पड़ता है, धारा को समझना पड़ता है, प्रवाह से लड़ना पड़ता है। इंसान बनना पड़ता है।और भीऔर भी

कोई कहता है पैसा तो हाथ की मैल है। दूसरा कहता है यह सब हमारे बड़े बुजुर्गों का ढकोसला था और सभी पैसे के पीछे भागते रहे हैं। कुबेर का खजाना, कारूं का खजाना, गड़ा हुआ धन, पैसे का पेड़। न जाने कैसी-कैसी मान्यताएं रहीं हैं अपने यहां। सब समय-समय की बात है। समय बदल चुका है, पैसे की हकीकत भी बदल चुकी है। खुदाई में मिले धन की खबर पुलिस को नहीं दी तो जेल जानाऔरऔर भी