विश्व अर्थव्यवस्था प्राकृतिक आपदा या आतंकवादी हमले से होनेवाली व्यापक तबाही ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक झेल सकती है क्योंकि सरकारों या उद्योग-धंधों ने ऐसी अनहोनी के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं कर रखी है। यह आकलन है दुनिया के एक प्रतिष्ठित चिंतन केंद्र, चैथम हाउस का। चैथम हाउस लंदन का एक संस्थान है जो अंतरराष्ट्रीय मसलों से संबंधित नीतियों पर नजर रखता है। दुनिया भर के नीति-नियामकों के बीच इसकी बड़ी साख है। चैथम हाउस नेऔरऔर भी

पिछले 11 सालों में देश के 17.61 किसानों को राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) के तहत फसल का बीमा कवर दिया गया है। कृषि मंत्रालय के ताजा आकड़ों के अनुसार एनएआईएस के तहत रबी मौसम 1999-2000 से रबी मौसम 2010-11 तक कुल 17.61 करोड़ किसानो का बीमा किया गया है। इस योजना के तहत पिछली 23 फ़सलों के दौरान 21,459 करोड़ रूपए मूल्‍य के दावे निपटाए गए हैं, जिससे 4.76 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है। योजनाऔरऔर भी

विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम पूर्वानुमान में सटीकता लाने के लिए पूर्वानुमान प्रणाली में उत्तरोत्तर सुधार की आवश्यकता है ताकि लोगों में उस पर भरोसा कायम हो। उनको 23 मार्च को विश्व मौसम दिवस से ठीक एक दिन पहले यह बात की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल संकाय के प्राध्यापक डॉ आर बी सिंह कहते हैं कि हमारा मौसम पूर्वानुमान पूरी तरह विश्वसनीय और भरोसेमंद नहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे अल्पकालिक पूर्वानुमान हो या दीर्घकालीनऔरऔर भी

जापान में भयंकर भूकंप और सुनामी से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है और इसमें सारी दुनिया से जापान को सहयोग व मदद मिलनी चाहिए। हालांकि जापान सरकार ने जिस तरह राहत व बचाव के लिए खटाक से 18,600 करोड़ डॉलर निकाल लिए हैं, वो वाकई सराहनीय कदम है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि जापान इस संकट से उबर जाएगा, भले ही इसमें थोड़ा वक्त लगे और उसे तकलीफ उठानी पड़े। असल में जापान में पुनर्निर्माणऔरऔर भी

सरकार रिजर्व बैंक के साथ इस मसले पर बातचीत कर रही है कि होम लोम को कैसे प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान से बचाने के बीमा के साथ जोड़ा जा सकता है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनाराणन ने बुधवार को दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित सेमिनार में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, “हम अब भी प्राकृतिक आपदाओं से व्यक्ति को बीमा देने का तरीका तलाशने में लगे हैं, लेकिन ऐसा कोई इकलौताऔरऔर भी