कोरोमंडल इंटरनेशनल दक्षिण भारत के मुरुगप्पा समूह की कंपनी है। फर्टिलाइजर, स्पेशियलिटी न्यूट्रिएंट व फसल बचाने के उत्पादों के साथ-साथ रिटेल के धंधे में भी है। 2007 में उसने दो रिटेल आउटलेट से शुरुआत की थी। अभी उसके पास आंध्र प्रदेश के ग्रामीण अंचल में 425 से ज्यादा रिटेल स्टोर हैं जहां खाद वगैरह के साथ ही कपड़े-लत्ते व रोजम्रर्रा की तमाम चीजें मिलती हैं। कंपनी फॉस्फेट खाद में देश की दूसरी सबसे बड़ी निर्माता है। मतलबऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2011-12 का बजट देश और देश की अर्थव्यवस्था के हित में है। शेयर बाजार अभी इसे अपने हित में मानता है या नहीं, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आखिरकार अर्थव्यवस्था ही बाजार की भी मजबूती का आधार बनती है। फिर आज अगर बीएसई सेंसेक्स करीब 600 अंक उछला है तो जरूर बाजार ने भी इसका अहसास किया है। हालांकि सेंसेक्स बाद में केवल 122.49 अंकों या 0.69 फीसदी की बढ़त के साथ 17,823.40 परऔरऔर भी

2010 में बाजार से तेज रफ्तार से भागने वाले स्टॉक्स को भूल जाओ। वो साल पीछे छूट चुका है। अब तो साल 2011 में बाजार को पछाड़ने वाले नए दबंग स्टॉक्स बनेंगे। इस साल मंच संभालने वाले सेक्टर होंगे – इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल्टी, कंज्यूमर ड्यूरेबल, चाय और फर्टिलाइजर। निफ्टी 5700 तक नीचे जाने के बाद वापस 6200 के करीब पहुंच चुका है जहां से उसकी नई ऊंचाई ज्यादा दूर नहीं है। आखिर निफ्टी इतनी तेजी से नई ऊंचाईऔरऔर भी

लंबे समय की बात छोड़िए, आपको तो थोड़े समय के लिए भी बाजार की दशा-दिशा को लेकर फिक्र करने की जरूरत नहीं है। अगर हम वित्त वर्ष 2011-12 के अनुमानित लाभ को आधार बनाएं तो भारतीय बाजार अभी 16 के पी/ई अनुपात पर चल रहा है जो इक्विटी मूल्यांकन के वैश्विक मापदंड से काफी नीचे है। इसलिए उन लोगों को कहने दीजिए, जो कहते हैं कि भारतीय बाजार महंगा हो चला है और इसमें अब गिरावट आनीऔरऔर भी

मैं दस साल के नजरिए से अर्थव्यवस्था और बाजार व कॉरपोरेट क्षेत्र की स्थिति को देखता हूं। इसलिए महसूस कर सकता हूं कि क्या हो रहा है। लेकिन निवेशक तो दस घंटे की बात भी नहीं देख पाते। इसलिए बाजार के खिलाड़ियों के हाथ में अपनी गरदन पकड़ा देते हैं। मैं भी एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों को उनका पोर्टफोलियो बनाने-संभालने की सलाह देता हूं। लेकिन उन्हें नुकसान नहीं हुआ क्योंकि वे कभी भी कर्ज लेकर बाजारऔरऔर भी

बहुत से निवेशक अभी तक मार्क टू मार्केट के दबाव और विशेषज्ञों की सलाहों के आगे घुटने टेक चुके हैं और बाजार से बहुत कुछ बेच-बाच कर निकल गए हैं। ब्रोकर उन्हें अब भी समझा रहे हैं कि हर बढ़त उनके लिए राहत का मौका है और ऐसे हर मौके पर उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। अच्छा है क्योंकि आपका इम्तिहान चल रहा है। अब, ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप हर बार उम्मीद करें किऔरऔर भी

मैंगलोर केमिकल्स एंट फर्टिलाइजर्स का शेयर इसी 3 नवंबर को 52 हफ्ते के शिखर 48.25 रुपए पर जा पहुंचा था। उसके बाद से ढलान पर है। कल बीएसई (कोड – 530011) में 1.28 फीसदी की गिरावट के साथ 42.40 रुपए और एनएसई (MANGCHEFER) में 1.40 फीसदी की गिरावट के साथ 42.35 रुपए पर बंद हुआ है। जहां बीएसई में इसके 7.64 लाख शेयरों का, वहीं एनएसई में 10.44 लाख शेयरों का कारोबार हुआ है। यह अच्छी कंपनीऔरऔर भी

लोकसभा में सोमवार को एक तरफ विपक्ष भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उसके हंगामे की परवाह न करते हुए चालू वित्त वर्ष 2010-11 के आम बजट के अनुदान की अनुपूरक मांगें पेश कीं। वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि सरकार को इस बार खर्चों के लिए बजट के ऊपर से 44,945.52 करोड़ रुपए चाहिए। इसमें से 25,132.55 करोड़ रुपए तोऔरऔर भी

हमारी दृढ़ धारणा नहीं बदल सकती। हमारा मानना था कि निफ्टी के 6200 के आपपास पहुंचने पर बिकवाली का थोड़ा दबाव आ सकता है और हमने लगभग दिन के सर्वोच्च स्तर 6178 पर मुनाफावसूली की। आपने पहली बार देखा होगा कि निफ्टी में पूरे सत्र के दौरान खरीद की कोई कॉल नहीं थी। हम कल का रुझान कल तय करेंगे। अभी तो हमारा मानना है कि इस सेटलमेंट में निफ्टी 6290 के ऊपर नहीं जाएगा। लेकिन वोऔरऔर भी