शेयर बाज़ार में निवेश करें तो किसी शेयर में नहीं, बल्कि बिजनेस में निवेश करें। उद्योग चुनें। उस उद्योग की खास कंपनी को चुनें। समझें कि उस उद्योग और उस कंपनी का भावी कैश फ्लो कैसा रहेगा। धंधे के साथ शुद्ध लाभ किस रफ्तार से बढ़ेगा। इतना आंक लेने के बाद ही उस कंपनी के शेयर में धन लगाएं। वह भी तब तक के लिए, जब तक वो कंपनी है। आज पेश है ऐसी ही एक पुख्ताऔरऔर भी

केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के भीतर ही, यानी 31 मार्च 2012 से पहले ओएनजीसी और बीएचईएल के विनिवेश से करीब 14,500 करोड़ रुपए जुटाने जा रही है। इसके लिए कोई फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) नहीं आएगा, बल्कि इनके शेयरों की बिक्री स्टॉक एक्सचेंजों में नीलामी के नए माध्यम से की जाएगी। इस सिलसिले में मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह की बैठक बुधवार, 15 फरवरी को होने जा रही है। समूह के अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जीऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है।औरऔर भी

सरकार देशी-विदेशी निवेशकों के मनचाहे सुधारों की राह पर चल पड़ी है। रिलायंस-बीपी के करार को कैबिनेट की मंजूरी और सचिवों की समिति द्वारा मल्टी ब्रांड रिटेल में 49 के बजाय 51 फीसदी विदेशी निवेश (एफडीआई) की सिफारिश यूपीए सरकार के साहसी रुख को दर्शाती है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह विपक्ष के हमले की धार कुंद करने में लगी है। सरकार का यह अंदाज उन चंद बड़े एफआईआई की तरफ से पेश की गई तस्वीर सेऔरऔर भी

मैंने आपसे कहा था कि मंदड़ियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और आप खुद देख रहे हैं कि सेटलमेंट की समाप्ति के ठीक पहले तेजड़ियों ने मंदड़ियों को कैसा धर दबोचा है। बाजार के एक बड़े उस्ताद एसबी (शरद बोबदा) के बारे में सुना गया है कि आज उन्होंने सबसे पहले निफ्टी में शॉर्ट सौदे काटे। दूसरों का अभी उनके पीछे चलना बाकी है। 5530 पर प्रतिरोघ का बहुत तगड़ा स्तर था। लेकिन निफ्टी इसे तोड़कर 5552.65औरऔर भी

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को लगातार तीन साल तक रिजर्व बैंक के निर्धारितों नियमों से अधिक कर्ज दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया के अलावा 2जी घोटाले में फंसी कुछ दूरसंचार कंपनियों को भी काफी मात्रा में कर्ज दे रखा है। लेकिन अब बैंक ने यह भी बताया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीजऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) ने हफ्ते भर पहले सोमवार, 23 मई को घोषित किया कि वित्त वर्ष 2010-11 में उसका टर्नओवर 22.94 फीसदी बढ़कर 43,394.58 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 39.45 फीसदी बढ़कर 6011.20 करोड़ रुपए हो गया है। उसके पास 1.64 लाख करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर हैं। लेकिन उसका शेयर शुक्रवार 20 मई के 2074.40 रुपए से भाव से 6.69 फीसदी गिरकर 1935.60 रुपए पर आ गया। इसके बादऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का आखिरी दिन। एक्सायरी का दिन। कल 78,000 करोड़ रुपए का रोलओवर हुआ और इस महीने का ओपन इंटरेस्ट था 76,000 करोड़ रुपए। अब तक किसी भी सेटलमेंट के लिए ये सबसे बुरे आंकड़े हैं। इस 78,000 करोड़ रुपए के रोलओवर में जुलाई के ऑप्शंस ट्रेड की भी काफी रकम शामिल है जो  इन आंकड़ों को और खोखला कर देती है। इन आंकड़ों में बदतर हालात की आहट है। वैसे, यहां से बाजारऔरऔर भी

बाजार में सुबह से चर्चा थी कि निफ्टी आज गिरकर 5290 तक चला जाएगा और अगले कुछ दिनों में यह 4800 पर होगा। इसकी वजह यूरोप में ऋण संकट के उभार, ब्याज दरों में वृद्धि, डीजल के दाम बढ़ने के अंदेशे और विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) की चिंता को बताया जा रहा है। लेकिन शाम होते-होते ये सारे कयास गलत साबित हुए। निफ्टी नीचे में 5367.45 तक ही गया। लेकिन फिर 5422.60 तक बढ़ने के बादऔरऔर भी

मैंगलोर केमिकल्स एंट फर्टिलाइजर्स का शेयर इसी 3 नवंबर को 52 हफ्ते के शिखर 48.25 रुपए पर जा पहुंचा था। उसके बाद से ढलान पर है। कल बीएसई (कोड – 530011) में 1.28 फीसदी की गिरावट के साथ 42.40 रुपए और एनएसई (MANGCHEFER) में 1.40 फीसदी की गिरावट के साथ 42.35 रुपए पर बंद हुआ है। जहां बीएसई में इसके 7.64 लाख शेयरों का, वहीं एनएसई में 10.44 लाख शेयरों का कारोबार हुआ है। यह अच्छी कंपनीऔरऔर भी