आम निवेशक ज़रा-सा मौका मिलते ही म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से तौबा कर ले रहे हैं। अभी बीते सितंबर महीने में उन्होंने इन इक्विटी स्कीमों से 3306 करोड़ रुपए निकाले हैं। यह जानकारी म्यूचुअल फंडों के साझा मंच, एम्फी की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों में दी गई। ये आंकड़े तैयार तो शुक्रवार, 5 अक्टूबर को ही कर लिए गए थे। लेकिन जारी इन्हें सोमवार को किया गया। किसी भी एक महीने में म्यूचुअल फंडों कीऔरऔर भी

नए साल का पहला महीना बीएसई सेंसेक्स और रुपए के लिए ऐतिहासिक बढ़त का महीना रहा है। जनवरी में सेंसेक्स 11.3 फीसदी बढ़ा है। यह पिछले 18 साल में जनवरी के दौरान सेंसेक्स में हुई सबसे ज्यादा बढ़त है। इससे पहले जनवरी 1994 में 19.4 फीसदी बढ़ा था। इसी तरह भारतीय रुपए के लिए भी जनवरी का महीना पिछले 17 सालों की सबसे ज्यादा बढ़त का साक्षी रहा। इस महीने डॉलर के सापेक्ष रुपया 7.45 फीसदी मजबूतऔरऔर भी

पिछले दस सालों में केवल एक साल को छोड़ दें तो कभी भी मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन शेयर बाजार नीचे नहीं गया है। कारण यह है कि मुहूर्त ट्रेडिंग में ज्यादातर गुजराती ट्रेडर भाग लेते हैं और वे दिवाली के दिन बेचने के बजाय खरीदना ही पसंद करते हैं। केवल 9 नवंबर 2007 को दिवाली के दिन बीएसई सेंसेक्स 0.8 फीसदी या 151 अंक गिर गया था। 8 नवंबर 2007 को यह 19,059 पर था, जबकि 9औरऔर भी

बीते हफ्ते बाजार, बीएसई सेंसेक्स 1000 से ज्यादा अंक टूट गया। हालांकि हमारा मानना है कि ऐसा होना लाजिमी नहीं था। यह कुछ फंडों द्वारा घबराहट में निकलने के लिए की गई बिकवाली का नतीजा था। वैसे भी इन फंडों मे हफ्ते भर पहले ही घोषत कर दिया था कि उन्हें अपनी कुछ स्कीमों को समेटना है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने वही किया, जिसकी उम्मीद थी। लेकिन उसके इस संकेत ने अमेरिकी बाजारों परऔरऔर भी

बाजार की दिशा का अनुमान लगाने में हम ज्यादा गलत नहीं थे। हां, शुक्रवार को हम गलत निकले क्योंकि वैश्विक बाजारों का असर हावी हो गया। लेकिन सोमवार के रुझान के लिए वैश्विक कमजोरी को वजह बताने का क्या तुक है? जैसा मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि जब बाजार अपनी तलहटी पर होता है तभी चार्ट के धंधे और टेक्निकल सलाह वाले लोग बिक्री की सलाह दे डालते हैं। और, फिर वैश्विक बाजारों के असरऔरऔर भी

आज का दिन स्टॉप लॉस के नाम रहा। निफ्टी 5200 अंक के नीचे पहुंचा तो हर तरफ सौदे काटने का सिलसिला चल निकला। चीन ने ब्याज दरें बढ़ा दी थीं और ऑस्ट्रेलिया ने मेटल के दाम। इसलिए दुनिया के बाजारों में पहले से ही थोडी कमजोरी का आलम था। बाजार को तब सदमा-सा लग गया जब ग्रीस ने कह दिया कि उसके लिए 110 अरब यूरो की रकम शायद काफी न पड़े। हमारे लिए इसका क्या मतलबऔरऔर भी

अमेरिका में गोल्डमैन सैक्स के फ्रॉड के उजागर होने का असर आज भारतीय शेयर बाजार पर पड़ सकता है और अनुमान है कि बीएसई सेंसेक्स सुबह के कारोबार में 200-250 अंक नीचे जा सकता है। हालांकि दोपहर-बाद इसमें सुधार आने की संभावना है। इससे पहले रिजर्व बैंक की तरफ से मंगलवार को ब्याज दरों में वृद्धि की चिंता बाजार पर छाई हुई थी। अब इस चिंता में गोल्डमैन सैक्स के मामले ने आग में घी का कामऔरऔर भी