बीज अगर फलियों की खोल तोड़कर बाहर न निकलें तो सृजन का सिलसिला ही रुक जाए। इसी तरह मानव समाज को आगे बढ़ाने के लिए कुछ लोगों को सुरक्षा का कवच तोड़कर बाहर निकलना ही पड़ता है।और भीऔर भी

शुक्रवार को डर था कि आज कहीं काला सोमवार न हो जाए। लेकिन आज तो पूरा परिदृश्य ही बदला हुआ था क्योंकि इटली के अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक आईएफएम ने कह दिया कि इटली को संकट से निकालने के लिए वो वित्तीय मदद देने को तैयार है। हालांकि बाद में आईएमएफ के प्रवक्ता ने इसका खंडन कर दिया। खैर, इस दरम्यान हमारे उस्ताद लोग इसे यूरोप के संकट में राहत बताकर बाजार को चढ़ानेऔरऔर भी

सभी लोग कंपनियों के लाभ मार्जिन के कम या ज्यादा होने की बात करते हैं। लेकिन कोई इस बात पर गौर नहीं करता कि देश के अन्नदाता किसानों का लाभ मार्जिन कितना घटता जा रहा है। एक तो वैसे ही 90 फीसदी किसान गुजारे लायक खेती करके जिंदा है, ऊपर से मार्जिन में सुराख ने गरीबी में आटे को और गीला कर दिया है। एक खबर के अनुसार, धान की फसल पर किसानों ने पिछले साल प्रतिऔरऔर भी

बीज डाल दो। मिट्टी पौधे से पेड़ बन जाती है। सुंदर फूल व फल में ढल जाती है। हमारा काम चेतना का बीज फेंकने का है। बाकी काम प्रकृति का है। हम कुछ जोड़-घटा नहीं सकते। बस सज्जा बदल सकते हैं।और भीऔर भी

इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्वास के संकट ने बाजार के मिजाज पर चोट की है। इसका बेड़ा एसबीआई के आंकड़ों ने और गरक कर दिया। इस वक्त बाजी मंदड़ियों के हाथ में है और उनका सूत्र है – हर बढ़त पर बेचो। वे अपने मकसद में कामयाब भी हुए जा रहे हैं। यह कहानी बार-बार दोहराई जा रही है। लकिन बाजार के ऊपर पहुंचने पर मंदड़िए टेक्निकल कॉल्स की वजह से भारी बिकवाली नहीं करऔरऔर भी

हमारा काम बस इतना है कि हम बीज और मिट्टी को, आग और घी को, सिद्धांत व व्यवहार को, भगवान व इंसान को खींचकर एकदम करीब ले आएं। बाकी काम प्रकृति व समाज के नियम अपने आप कर लेंगे।और भीऔर भी

अपनी इच्छाओं को आरोपित करने के बजाय हमें उन्हें यथार्थ के हिसाब से सजाना चाहिए। यथार्थ सतह से उभरा अंकुर ही नहीं, सतह के नीचे पड़ा बीज भी होता है। इसी त्रिकाल दृष्टि से पूरी होती हैं इच्छाएं।और भीऔर भी

देश में बीज के उत्पादन और विकास के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के लिए बने नियमों में ढील देने के सरकारी फैसले पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम तभी फायदेमंद होगा जब सरकार किसानों व पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल शोध को बढ़ावा देती रहे। कुछ विशेषज्ञों ने तो इससे बीज बाजार और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है और कहा है कि हमें इसको लेकर सावधान हो जाना चाहिए। उल्लेखनीय कि सरकार नेऔरऔर भी

हर गांव में बनाए जाएंगे दलहन के फाउंडेशन बीजों के लघु गोदाम। आधा एकड़ खेत के लिए बीज की आपूर्ति आधे दाम पर की जाएगी। सरकार की कोशिशें कामयाब हुईं तो आनेवाले सालों में रोटी के साथ दाल भी मयस्सर हो सकती है। देश में दाल की कमी और उसकी बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार सारे विकल्पों को आजमाने में जुट गई है। इसके तहत पहले दलहन ग्राम और अब बीज ग्राम बसाने की योजना पर अमलऔरऔर भी