बाजार के उस्तादों को जो चाहिए था, आखिरकार उन्हें मिल गया। किसी को बिना कोई चेतावनी दिए, बिना कोई मौका दिए बाजार 600 अंक गिर चुका है जो अपने-आप में अच्छा करेक्शन है। मेरे बहुत-से दोस्त भ्रमित हो गए हैं और बेचनेवालों के खेमे में चले गए। लेकिन मैं अब भी लांग करनेवालों के खेमे में हूं। मेरा मानना है कि बाजार का रुझान तभी पटलेगा जब निफ्टी 5274 के नीचे पहुंच जाएगा। इसलिए तब तक होऔरऔर भी

हमारी राजनीतिक पार्टियां इस कदर अंधी हैं कि उन्हें दिखाई नहीं देता कि इस साल केवल जुलाई-सितंबर की तिमाही में ही सरकारी तेल कंपनियों को 14,079.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। बुधवार को इंडियन ऑयल ने सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो पता चला कि बिक्री साल भर पहले की तुलना में 15.81 फीसदी बढ़कर 89145.55 करोड़ रुपए हो जाने के बावजूद उसे 7485.55 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। इससे पहले दो अन्यऔरऔर भी

स्तरीय स्टॉक्स का ग्रेड गिराने का दौर बीत रहा है और रेटिंग उठाने का दौर शुरू हो रहा है। एक प्रमुख एफआईआई ब्रोकिंग हाउस ने इनफोसिस को अपने आदर्श पोर्टफोलियो में शामिल किया है। कृपया याद करें कि हमने इनफोसिस में 3300 रुपए पर बेचने और 2200 पर खरीदने की कॉल दी थी। टॉप पर बेचने और बॉटम पर खरीदने की यह सलाह दर्शाती है कि हमें भारतीय बाजार से पैसा बनाने के लिए फिरंगियों से उल्टाऔरऔर भी

सरकार की नवरत्न कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) को चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में 3080.26 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यह घाटा साल भर पहले इसी तिमाही में हुए 1884.29 करोड़ रुपए के घाटे के डेढ़ गुने से ज्यादा है। महज एक तिमाही का यह घाटा बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में हुए 1539.01 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ को पचा जाने के लिए काफी है। इस घाटे की सीधी-सी वजह यह है किऔरऔर भी

यह सच है कि दुनिया के बवंडर में हमारे बाजार के भी तंबू-कनात उखड़ जाते हैं। लेकिन यहां भी कुछ अपना है जो अपनी ही चाल से चलता है। जैसे, शुक्रवार को जब तमाम शेयर तिनके की तरफ उड़ रहे थे तब सेसेंक्स की 30 कंपनियों में तीन शेयर बढ़ गए। सेंसेक्स की 2.19 फीसदी गिरावट के बावजूद ओएनजीसी में 1.08 फीसदी, हिंडाल्को में 0.77 फीसदी और सिप्ला में 0.73 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। बीएसईऔरऔर भी

विश्व बाजार में आने वाले महीनों में भी कच्चे तेल के दाम यदि 100 डॉलर प्रति बैरल के ईदगिर्द ही टिके रहते हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की अंडर-रिकवरी या नुकसान अगले वित्त वर्ष में 98,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख ओएमसी हैं – बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल। ब्रोकर फर्म इंडिया इनफोलाइन (आईआईएफएल) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त करते हुए कहा गया है किऔरऔर भी

यह वाकई बहुत बुरी बात है कि बिजनेस चैनल अब दर्शकों की भावनाओं के साथ खेलने लगे हैं। एक बिजनेस चैनल और उससे जुड़ी समाचार एजेंसी ने खबर फ्लैश कर दी कि सरकार पेट्रोलियम तेलों पर फिर से नियंत्रण कायम करने जा रही है। कितनी भयंकर बेवकूफी की बात है? सुधारों को पटलने का सवाल कहां उठता है? यह तो तभी हो सकता है जब सीपीएम केंद्र सरकार की लगाम थाम ले! स्वाभाविक रूप से पेट्रोलियम मंत्रीऔरऔर भी

फंडामेंटल अमूमन शॉर्ट टर्म या छोटी अवधि में नहीं चलते और टिप्स ज्यादातर लंबी अवधि में नहीं चलतीं। इसलिए टिप्स के पीछे ट्रेडर भागते हैं, जबकि निवेशकों को हमेशा कंपनी का मूलाधार या फंडामेंटल्स देखकर ही निवेश करना चाहिए। लेकिन शेयर बाजार से कमाई वही लोग कर पाते हैं तो समय पर बेचने की कला सीख लेते हैं। यह कला अभ्यास, अनुभव और लक्ष्य बांधने से आती है। अक्सर ऐसा होता है कि कोई शेयर 45 फीसदीऔरऔर भी

कोई भी कंपनी आज क्या है, निवेश के लिए इससे ज्यादा अहम होता है कि उसके भावी विकास का ग्राफ कहां जाता दिख रहा है। जब तक आपको कंपनी समझ में नहीं आ जाती, उसकी मजबूती और भावी विकास के बारे में आप आश्वस्त नहीं हो जाते, तब तक कतई निवेश न करे। आखिर आपकी गाढ़ी कमाई कहीं भागी तो नहीं जा रही। बस यह है कि अभी बैंक उसका फायदा उठा रहा है। आप समझदार होऔरऔर भी