जो बात एक्सिस बैंक अपने विज्ञापन में खुद को अलग दिखाने के लिए कर रहा है, उसी बात का फैसला देश भर के बैंकिंग ओम्बड्समैन ने अपने सालाना सम्मेलन में सभी बैंकों के लिए कर लिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव समेत बैंकों के शीर्ष संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के आला अधिकारियों की मौजूदगी में बैंकिंग ओम्बड्समैन सम्मलेन ने तय किया है कि बैंकों को फ्लोटिंग रेट लोन पर कतई कोई प्री-पेमेंट शुल्क नहींऔरऔर भी

मरने की कगार पहुंच गए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स (आईआरएफ) या ब्याज दर वायदा कारोबार में सरकार ने एक बार फिर जान डालने की कोशिश की है। रिजर्व बैंक और सेबी से सर्कुलर जारी कर 91 दिनों के ट्रेजरी बिलों में आईआरएफ सौदों की इजाजत दे दी है। हालांकि इसका सैद्धांतिक फैसला रिजर्व बैंक ने 21 अप्रैल को पेश चालू वित्त वर्ष 2010-11 की मौद्रिक नीति में ही कर लिया था। सोमवार को देर शाम जारी सर्कुलर मेंऔरऔर भी

सरकार इस बात से चिंतित है कि देश में ब्याज दर वायदा (इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स या आईआरएफ) का कारोबार ठंडा पड़ता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने सालाना मौद्रिक नीति में प्रस्ताव रखा है कि अब आईआरएफ में 5 साल व दो साल की सरकारी प्रतिभूतियों के साथ ही 91 दिवसीय ट्रेजरी बिलों पर भी आधारित कांट्रैक्ट शुरू किए जाएं। अभी तक केवल दस साल के सरकारी बांड पर आधारित कांट्रैक्टऔरऔर भी