खगोल वैज्ञानिकों ने गैस के ऐसे दो बादलों का पता लगाया है, जिसके बारे में उनका मानना है कि वे ब्रह्मांड का निर्माण करनेवाले महाविस्फोट (बिग बैंग) के कुछ ही मिनट बाद बन गए थे। खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि गैस के इन बादलों की सबसे पहले हुई इस खोज में व्यापक रूप से स्वीकृत उस सिद्धांत का और अधिक समर्थन किया गया है, जिसके तहत ब्रहमांड के निर्माण की प्रक्रिया बताई गई थी। आरंभिक गैसीय बादलऔरऔर भी

काम ही राम है। केवल चार शब्दों की इस नन्हीं मुन्हीं कहावत में प्रागैतिहासिक युग से भी बहुत पहले की झांकी मिल जाती है कि किसी ईश्वरीय चमत्कार से मनुष्य मनुष्य नहीं बना बल्कि वह मेहनत और काम का ही करिश्मा है कि उसने मनुष्य के अगले दो पांवों को हाथों में तब्दील कर दिया अन्यथा वह अब तक चौपाया का ही जीवन जीता। पांवों का स्थान छोड़कर हाथ स्वतंत्र हुए तो पत्थर फैंकना, लकडी थामना औरऔरऔर भी

वाइकिंग मिथक के अनुसार ग्रहण तब लगता है जब स्कोल और हैती नाम के दो भेड़िए सूरज या चंद्रमा को जकड़ लेते हैं। इसीलिए जब भी ग्रहण पड़ता था तो वाइकिंग लोग खूब शोर मचाते और ढोल बजाते थे ताकि वे भेड़िए डर कर आसमान से भाग जाएं। कुछ समय बाद लोगों ने महसूस किया कि उनकी ढोल-तमाशे का का ग्रहण पर कोई असर नहीं पड़ता। ग्रहण तो अपने-आप ही खत्म हो जाता है। प्रकृति के तौर-तरीकोंऔरऔर भी