दुनिया में दो तरह के लोग हैं। एक वो जो मूर्खों की तरह कोई परवाह किए बगैर गिरते-पड़ते बिंदास जिए जाते हैं। ऐसे मूर्खों की श्रेणी में मुझ जैसे बहुतेरे लोग आते हैं। दूसरे वो लोग हैं जो मूर्खों की तरह डर-डरकर ज़िंदगी जीते हैं; हर छोटे-बड़े फैसले से पहले जितनी भी उल्टी बातें हो सकती है, सब सोच डालते हैं। फिर या तो घबराकर चलने ही इनकार कर देते हैं या चलते भी हैं तो सावधानियोंऔरऔर भी