सारे साधन-संसाधन मौजूद हैं। श्रम का साथ मिल जाता है तो वे बदलकर मूल्यवान बन जाते हैं। खेत में एक बीज डालें, सौ बीज निकलते हैं। वो बीज जो पहले धरती पर नहीं थे। इसी तरह कंपनियां वो दौलत पैदा करती हैं जो पहले इस दुनिया में थी ही नहीं। पूंजी और श्रम के मेल से पैदा होती है यह दौलत। पूंजी भी श्रम का ही संघनित रूप है। मारुति सुजुकी को श्रमिकों की तीन चरणों मेंऔरऔर भी

पेट्रोल की कीमतें बढ़ने और कर्ज महंगा होने का असर कारों की बिक्री पर साफ दिखने लगा है। अक्टूबर में घरेलू बाजार में कारों की बिक्री 23.77 फीसदी घटकर 1,38,521 इकाइयों की रही, जो अक्टूबर 2010 में 1,81,704 कारों की थी। इसमें देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की हड़ताल ने भी आग में घी डालने का काम किया। यह बीते दस सालों में कारों की बिक्री में आई सबसे तेज गिरावट है। सोसाइटीऔरऔर भी

बाजार ने कल साबित करने की कोशिश की कि अमेरिकी बाजार से हमारा कोई वास्ता नहीं रह गया है, जबकि ग्लोबल होती जा रही दुनिया का सच यह नहीं है। दरअसल बाजार के महारथियों ने कुछ एफआईआई की मदद से चुनिंदा स्टॉक्स को खरीदकर बनावटी माहौल बनाने की कोशिश की थी। खैर, कल जो हुआ, सो हुआ। आज दोपहर करीब डेढ़ बजे के बाद बाजार ने बढ़त पकड़ ली तो कारोबार के अंत तक सेंसेक्स 0.89% बढ़करऔरऔर भी

रीको ऑटो इंडस्ट्रीज दोपहिया से लेकर चार-पहिया वाहनों के कंपोनेंट बनानेवाली बड़ी कंपनी है। कितनी बड़ी, इसका अंदाजा कंपनी के धारुहेड़ा, मानेसर व गुड़गांव के संयंत्रों को देखकर लगाया जा सकता है। हीरो मोटोकॉर्प से लेकर मारुति तक की बड़ी सप्लायर है। आज से नहीं, करीब पच्चीस सालों से। लेकिन 2006 से ही उसके सितारे गर्दिश में हैं। पहले मजदूरों की 56 दिन लंबी हड़ताल हुई। फिर दुनिया के वित्तीय संकट ने भारत को आर्थिक सुस्ती मेंऔरऔर भी

बाजार को मनचाहे अंदाज में नचानेवालों के लिए आज से बेहतर कोई दूसरा दिन हो नहीं सकता था। ब्याज दर में ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी वृद्धि की अपेक्षा थी। लेकिन असल में यह निकली 0.50 फीसदी। इसे रोलओवर के पहले बाजार को तगड़ा झटका देने के इस्तेमाल किया गया। हालांकि बाजार ने पिछले दो हफ्तों में हासिल सारी बढ़त एक झटके में खो दी है। लेकिन निश्चित तौर पर बाजार की अंतर्धारा नहीं बदली है। केवलऔरऔर भी

आखिरकार नॉर्थ ब्लॉक में राजनीतिक गतिरोध टूटता हुआ दिख रहा है। आठ सालों बाद वित्त मंत्रालय विनिवेश का पल्लू छोड़कर पूरी तरह निजीकरण की तरफ निर्णायक कदम बढ़ा रहा है। स्कूटर्स इंडिया को बेचने का फैसला हो चुका है। राज्यों के चुनाव नतीजों ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच व कार्रवाई को लेकर सारी उहापोह खत्म कर दी है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इसकी जांच कर ही रही है। डीएमके को अवाम ने सत्ता से बाहरऔरऔर भी

मैंने साफ-साफ कहा था कि निफ्टी 6000 से लेकर 6100 के बीच डोलेगा और यही हो रहा है। आज एक करोड़ से ज्यादा निफ्टी बढ़ाकर अगले सेटलमेंट में ले जाए गए। यह निश्चित रूप से डेरिवेटिव सौदों में हाल का सबसे बड़ा वोल्यूम होगा। कल बाजार 6100 या उसके आसपास बंद होगा। आज यह 5991 अंक पर बंद हुआ है। यानी कल इसमें 100 अंक या इससे ज्यादा की वृद्धि होगी। इसकी सीधी वजह यह है किऔरऔर भी

बाजार में रोलओवर का आगाज़ हो चुका है। लेकिन एक बात गौर करने की है कि निफ्टी में पुट ऑप्शन के सौदे 5600, 5500 व 5400 के स्तर पर हुए हैं यानी, यहां तक निफ्टी गया तो चाहें तो उसे बेच सकते हैं, पर बेचने की कोई बाध्यता नहीं है। इसलिए बहुत कम गुंजाइश है कि बाजार 5900 अंक से नीचे जाएगा। इसके साथ ही निफ्टी के कॉल ऑप्शन में 6000, 6100 व 6200 पर कोई खासऔरऔर भी

मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मंदड़ियों ने पीछे भारी धक्का खाने के बावजूद अभी तक कोई सबक नहीं सीखा है। शॉर्ट सौदे करना उनका शौक बन गया है। टाटा स्टील में पैंट उतर जाने के बाद अब वे एसबीआई पर हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह शॉर्ट सेल के लिए सबसे अच्छा काउंटर है। उनका साफ-साफ तर्क यह है कि एसबीआई का स्टॉक 2950 रुपए के भाव परऔरऔर भी

किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से निवेशक पर क्या फर्क पड़ता है? क्या टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट चलते हैं या फंडामेंटल ही शेयर का दमखम तय करते हैं? मेरी राय में आखिरकार फंडामेंटल ही काम करते हैं और हकीकत यही है कि बाजार से चार्ट बनते हैं, न कि चार्ज बाजार को बनाते हैं। हमने हीरो होंडा में बिक्री की पहली कॉल 1926 रुपए पर दी और यह स्टॉक अब गिरते-गिरते 1700 रुपए पर आ गयाऔरऔर भी