नितांत आत्मीय रिश्ते ही भावना-प्रधान होते हैं। बाकी सभी मित्र और नाते-रिश्तेदार काम खत्म, पैसा हज़म का नाता रखते हैं। उनसे इससे ज्यादा अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम भी तो यही करते हैं।और भीऔर भी

इस दुनिया में परिवार, प्यार व चंद दोस्तों के अलावा हर कोई पहले अपना फायदा देखता है। इक्का-दुक्का अपवाद संभव हैं। लेकिन फाइनेंस की दुनिया में यह अपवाद नहीं, नियम है। इसलिए पूरा संभलकर।और भीऔर भी

ज़िंदगी की तीखी चढ़ाई में हमेशा आस्था की जरूरत पड़ती है जिसके सहारे आप अंदर-बाहर की हर प्रतिकूलता से निपटते हैं। इस आस्था का प्रतीक गुरु, मित्र, देव, पेड़ या आपका कोई प्रिय भी हो सकता है।और भीऔर भी