देश की बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण को निजी बीमा कंपनियों के तौर-तरीकों पर सख्त एतराज है, खास उनके वितरण के मौजूदा ढर्रे पर। उनका कहना है कि निजी बीमा कंपनियों के वितरण खर्च का करीब 75 फीसदी हिस्सा ऑनबोर्डिंग यानी लिखत-पढ़त व कागज़ी खानापूरी में चला जाता है। कंपनियां इरडा द्वारा तय मैनेजमेंट लागत की सीमा तो पार कर गई है, लेकिन कमीशन के मामले में यह सीमा तय मानक से कमऔरऔर भी

बाजार में क्या मंदड़िए, क्या तेजड़िए, सभी दुविधा में हैं। किसी को अंदाज नहीं है कि बाजार आगे कौन-सी दिशा पकड़ने जा रहा है। बीएसई में कैश बाजार में रोज का औसत वोल्यूम 2600 करोड़ रुपए और एनएसई में 8800 करोड़ रुपए पर आ चुका है। डेरिवेटिव सौदों में बीएसई में तो कुछ होता है नहीं, एनएसई तक में कारोबार घटकर 70,000 करोड़ रुपए के नीचे जाने लगा है। दिन के दिन यानी इंट्रा-डे कारोबार में होनेवालेऔरऔर भी

केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) में कर्मचारियों की संख्या 2009-10 में 43,000 घट गई हालांकि इसी वित्त वर्ष में इन उप्रकमों का शुद्ध मुनाफा कुल मिलाकर दस फीसदी से अधिक बढा। सार्वजनिक उप्रकम सर्वे 2009-10 में यह जानकारी दी गई है। सर्वे के अनुसार इन उप्रकमों (सीपीएसई) में कर्मचारियों की संख्या 2009-10 में घटकर 14.91 लाख रह गई जो 2008-09 में 15. 34 लाख थी। इस तरह से यह 2.80 फीसदी की गिरावट दिखाती है। इसऔरऔर भी