देश में सोने-चांदी का आयात बीते वित्त वर्ष (अप्रैल 2011 से मार्च 2012) के दौरान 44.4 फीसदी बढ़कर 61.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह हमारे कुल 184.9 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के एक-तिहाई से ज्यादा, 33.26 फीसदी है। वित्त वर्ष 2011-12 में सबसे ज्यादा आयात पेट्रोलियम तेलों का बढ़ा है। यह 46.9 फीसदी बढ़कर 155.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि इससे बचना मुश्किल है क्योंकि देश में पेट्रोलियम तेलों की जरूरत का लगभग 80औरऔर भी

फरवरी में देश के निर्यात के बढ़ने की दर घटकर 4.2 फीसदी पर आ गई। यह पिछले साल की फरवरी से 4.2 फीसदी बढ़कर 24.6 अरब डॉलर हो गया। इसके विपरीत आयात में इस दौरान साल भर पहले की तुलना में 20.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और 39.7 अरब डालर हो गया। इस तरह फरवरी में व्यापार घाटा बढ़कर 15.1 अरब डॉलर हो गया। इस आंकड़ों के जारी होने के बाद वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने बढ़तेऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से फरवरी तक देश का निर्यात 21.4 फीसदी बढ़कर 267.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया। शुक्रवार को इन आंकड़ों की घोषणा करते हुए वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर इतने खुश हुए कि उन्होंने कहा कि लगता है कि वित्त वर्ष के अंत तक 300 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल कर लेंगे। वाणिज्य सचिव की तरफ से मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक, फरवरी में देश से हुआ निर्यात 4.3 फीसदीऔरऔर भी

नहीं पता कि यह हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर की आदत में शुमार है या उनको हिदायत दी गई है, लेकिन वे किसी महीने के निर्यात के आंकड़ों की औपचारिक घोषणा से करीब 15 दिन पहले ही उनकी घोषणा कर देते हैं, इस डिस्क्लेमर के साथ कि यह मोटामोटी अनुमान है और अंतिम आंकड़े भिन्न हो सकते हैं। 16 जनवरी को उन्होंने दिसंबर 2011 तक के निर्यात आंकड़े बताए थे, जबकि औपचारिक घोषणा 1 फरवरी को हुईऔरऔर भी

देश का निर्यात दिसम्बर महीने में 6.7 फीसदी बढ़ा है। आधिकारिक आंकड़ों की घोषणा से पहले ही वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने राजधानी दिल्ली में सोमवार को मीडिया को बताया कि दिसम्बर 2011 में देश से 25 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जबकि आयात 37.8 अरब डॉलर का हुआ।  इस तरह दिसंबर का व्यापार घाटा 12.8 अरब डॉलर रहा है। नवम्बर महीने में निर्यात मात्र 3.87 फीसदी बढ़ा था। दिसंबर के आंकड़ों को मिला दें तो चालूऔरऔर भी

हमारा वाणिज्य मंत्रालय बताने और छिपाने दोनों में माहिर है। हालांकि निर्यात आंकड़ों में पूरे 9 अरब डॉलर की ‘त्रुटि’ सामने आने के बाद वो थोड़ा चौकन्ना हो गया है। लेकिन बताने और छिपाने की उस्तादी अब भी जारी है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने 9 दिसंबर को ही बता दिया था कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से नवंबर तक देश का निर्यात 33.2 फीसदी बढ़कर 192.7 करोड़ डॉलर रहा है। सोमवार, 2 जनवरी कोऔरऔर भी

नवंबर महीने में देश का निर्यात साल भर पहले की तुलना में 17.99 फीसदी बढ़ा है। इस साल नवंबर में हमारा निर्यात 22.3 अरब डॉलर रहा है, जबकि नवंबर 2010 में यह 18.9 अरब डॉलर रहा था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले छह महीनों की तेज रफ्तार के कारण अप्रैल से नवंबर तक के आठ महीनों में निर्यात की वृद्धि दर 33.2 फीसदी रही है। इस निर्यात वृद्धि में मुख्य योगदान पेट्रोलियम पदार्थों का रहाऔरऔर भी

देश का बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी पूंजी की कम आवक, नतीजतन चालू खाते का बढ़ जाना, ऊपर से पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग व आयात पर निर्भर दूसरी कंपनियों में डॉलर खरीदने के लिए मची मारीमारी ने मंगलवार को डॉलर के सामने रुपए को ऐतिहासिक कमजोरी पर पहुंचा दिया। सुबह-सुबह एक डॉलर 52.73 रुपए का हो गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर भी 52.70रुपए प्रति डॉलर रखी गई थी। हालांकि शाम तक रुपए की विनिमय दर में थोड़ा सुधारऔरऔर भी

पता नहीं कि यह निर्यात के आंकड़ों की अप्रत्याशित तेजी पर उठे संदेह का नतीजा है या यूरोपीय देशों में छाए संकट का परिणाम, लेकिन ताजा सूचना यह है कि अक्टूबर महीने में देश से हुआ निर्यात साल भर पहले से मात्र 10.8 फीसदी बढ़ा है। यह दो सालों के दौरान निर्यात में हुई सबसे कम वृद्धि दर है। इससे पहले अक्टूबर 2009 में हमारा निर्यात 6.6 फीसदी घट गया था। लेकिन उसके बाद से हर महीनेऔरऔर भी

निर्यात की संदेहास्पद बढ़त जारी है। करीब तीन हफ्ते पहले हमारे वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने जो बताया था, आखिरकार आंकड़े उसकी तस्दीक करते हैं। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2011 में भारत का निर्यात 24.82 अरब डॉलर रहा है। यह सितंबर 2010 में हुए 18.20 अरब डॉलर के निर्यात से 36.36 फीसदी ज्यादा है। रुपए में यह वृद्धि 41.01 फीसदी निकलती है। लेकिन सरकार ने इस बात काऔरऔर भी