शेयर बाज़ार में लांग टर्म के निवेश का फलना कोई जादू नहीं। अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है निवेश। अर्थव्यवस्था पस्त हो तो निवेश खोखला हो जाता है। जैसे, जापानी अर्थव्यवस्था पिछले बीस सालों से पस्त है तो जो निक्केई सूचकांक दिसंबर 1989 में 38,915 पर था, 23 साल चार माह बाद अभी 13,694 पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने की अपार संभावना है तो यहां लंबे निवेश के फलने की गारंटी है। एक ऐसी ही संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

सोना गिर रहा है। तीस दिनों में 13%, छह महीने में 19% और एक साल में 15% गिरा है। लेकिन पांच साल पहले से अब भी 75% ऊपर है। 2008 में सोना 800 डॉलर प्रति औंस था। अभी 1400 डॉलर के आसपास है। 2011 में हासिल 1800 डॉलर के शिखर से 22% नीचे। सोना क्यों चढ़ा और क्यों गिरा? इस पर मगजमारी करने के बजाय क्यों न सोने के कारोबार में लगी कंपनी पर दांव लगा दियाऔरऔर भी

कामयाबी के लिए हर क्षेत्र के कुछ नियम-धर्म हैं। शेयर बाज़ार का नियम यह है कि यहां जितना भी धन लगाना हो, उसका 50-60% लार्ज, 25-30% मिड और 5-10% स्मॉल कैप कंपनियों में लगाना चाहिए। स्मॉल व मिड कैप कंपनियों के शेयर बढ़ते बड़ी तेज़ी से हैं तो लालच उनकी तरफ धकेलता है। लेकिन उनके गिरने का खतरा भी ज्यादा है तो सुरक्षित निवेश का नियम निकाला गया। इस बार एक लार्ज कैप कंपनी में निवेश कीऔरऔर भी

दिल्ली में मेरे एक पुराने परिचित हैं। यूं तो हम लोग एक ही कमरे में कई साल तक रहे हैं। लेकिन उन्हें मित्र कहना मैं मुनासिब नहीं समझता। उनका दावा है कि उनको देर रात कोलकाता से एफआईआई व म्यूचुअल फंडों की खरीद की खबर मिल जाती है। यही तरीका है शेयरों की चाल को समझने का। बाकी सब फालतू है। मेरा मानना है कि एफआईआई या डीआईआई के पीछे भागना फालतू है। अब लंबे निवेश कीऔरऔर भी

शेयर बाज़ार के मंजे हुए ट्रेडरों की बात अलग है। लेकिन उन लोगों के लिए, जिन्होंने शेयर बाज़ार में अभी-अभी ट्रेडिंग शुरू की होती है, स्टॉप लॉस लगते ही जैसे कलेजे से एक कतरा कटकर नीचे गिर जाता है। लगता है कि किसी ने सरे-राह जेब काट ली। हालांकि स्टॉप लॉस किसी भी ट्रेडर के जीवन का एक अपरिहार्य हिस्सा है। गिरते हैं घुड़सवार ही मैदान-ए-जंग में। लेकिन स्टॉप लॉस को लेकर मन में कोई खांचा फिटऔरऔर भी

ठीक आज की तारीख को साल भर पहले इसी कॉलम में हमने नैटको फार्मा में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 340 रुपए चल रहा था। इसके बाद 20 दिसंबर 2012 को वो 505 रुपए तक चला गया और अभी 430 रुपए चल रहा है। इतना नीचे आने के बाद भी 26.47 फीसदी का रिटर्न। यह है शेयर बाज़ार में अच्छी कंपनियों में निवेश का फायदा। इसे कहते हैं कंपनी के बढ़ने के साथ निवेशऔरऔर भी

बाज़ार में एक तरह का आशावाद छा गया है। थोक महंगाई की दर पहले से थोड़ा बढ़ गई। लेकिन इसमें मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की महंगाई पहले से घट गई। और, रिजर्व बैंक इसे ही ब्याज दर में कटौती का आधार बनाता है। ऊपर से रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम की तारीफ करते हुए कहा है कि वे विकास को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं। इससे लग रहा है कि अगले हफ्ते मंगलवार,औरऔर भी

निफ्टी को आज बाधा का सामना कर पड़ सकता है। पहली बाधा 5970 पर है। वहां भी क्लेश खत्म नहीं होगा। 6000 तक पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए आज करेक्शन या गिरावट का अंदेशा है। फिर भी अगर निफ्टी 6000 का स्तर पार कर गया तो अगली बाधा उसे 6025 पर झेलनी पड़ेगी। अगले हफ्ते मंगलवार को रिजर्व बैंक बताएगा कि वह देश में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए ब्याज दरों को घटाना सही मानता हैऔरऔर भी

सेंसेक्स 19,000 के ऊपर और निफ्टी 5800 के पार। यही नहीं, बी ग्रुप के शेयर जिस तरह बढ़े हैं, उसे बाजार में रिटेल निवेशकों की वापसी का संकेत माना जा रहा है। ब्रोकर गदगद हैं। औरों को झांसा देकर अपनी जेब भरनेवाले धंधेबाज अब सड़क चलते लोगों को भी यकीन दिलाने में लग गए कि यही सही वक्त है शेयरों में पूंजी लगाने का। लेकिन आंख पर पट्टी बांधकर निवेश करनेवाला शेयर बाजार में हमेशा गच्चा खाताऔरऔर भी

बड़े लोग पैसे को दांत से दबाकर रखते हैं। बहुत सोच-समझकर चुनिंदा माध्यमों में लगाते हैं। वहीं, समझदार से समझदार नौकरीपेशा लोग भी शेयर बाजार के लंबा फासला बनाकर चलते हैं। किसान को तो हवा ही नहीं कि यह बाजार चलता कैसे है। बाकी जो लोग बचे हैं, जो कभी यहां से तो कभी वहां से थोड़ी-बहुत कमाई कर लेते हैं, वे उड़ती-उड़ती खबरों की तलाश में रहते हैं ताकि शेयर बाजार से ‘पक्की’ कमाई की जाऔरऔर भी