फिर वही हाल। लेकिन कल का उल्टा। दोपहर तक मामला सुस्त चल रहा था। फिर यूरोपीय बाजार से सकारात्मक रुझान मिला तो हमारा बाजार भी तेजी से बढ़ गया। लगातार चार दिन की बढ़त के बाद सेंसेक्स अब 17503.71 और निफ्टी 5332.40 पर है। सेंसेक्स आज 0.64 फीसदी तो निफ्टी 0.61 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल के निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5364 रहा है। 5370 से बस छह अंक पीछे। जानकार बताते हैं कि अगर बाजार कोऔरऔर भी

मैंने कहा था कि सेंसेक्स अगले कुछ सत्रों में 500 अंक बढ़ जाएगा। 250 अंक तो वो पहले ही बढ़ चुका था और आज ही एनएवी के चलते 300 से ज्यादा अंकों की बढ़त उसने और ले ली। यह कोई करिश्मा नहीं, पहले से तय था। इसका श्रेय डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट की व्यवस्था को दिया जाना चाहिए। आईएफसीआई जैसे स्टॉक को पहले तोड़कर 39.5 रुपए तक ले जाया गया और वापस 42.5 रुपए पर पहुंचाऔरऔर भी

हमने निफ्टी में सारी लांग कॉल्स शुक्रवार को ही बंद कर दी थीं क्योंकि हमें अच्छी तरह पता था कि पी-नोट का मसला सप्ताहांत पर उछाला जाएगा। ऑपरेटर 65 लाख पुट यानी बेचने के ऑप्शंस सौदे कर चुके थे। इसलिए बाजार को कमजोरी के साथ ही खुलना था। निफ्टी साढ़े दस बजते-बजते 5195 तक चला गया जो 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) के बेहद करीब है। फिर बड़े स्टॉप लॉस लग गए और जो लोग लांगऔरऔर भी

किसी शेयर की बुक वैल्यू 320 रुपए हो और उसका शेयर इसके लगभग आधे भाव पर ट्रेड हो रहा तो आप क्या करेंगे? ऊपर से शेयर दस से नीचे के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा तो हर कोई कहेगा – लूट लो, यह शेयर तो साल भर में दोगुना हो ही सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या बुक वैल्यू का ज्यादा होना ही निवेश का पर्याप्त मानदंड है? क्या कम पी/ई का मतलब उसऔरऔर भी

अमेरिका में बेरोज़गारी की दर तीन सालों के न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है। डाउ जोन्स मई 2008 के बाद के सर्वोच्च स्तर पर आ चुका है। वह शुक्रवार को 1.2 फीसदी की बढ़त लेकर 12,862.23 पर बंद हुआ है। लेकिन अब वहां करेक्शन आना लाजिमी है। देश में निफ्टी बड़े शान से 5300 का स्तर तोड़कर ऊपर आ चुका है। लगातार तीन दिन से 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) से ऊपर टिका है। अरसे सेऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है।औरऔर भी

शुक्रवार को डर था कि आज कहीं काला सोमवार न हो जाए। लेकिन आज तो पूरा परिदृश्य ही बदला हुआ था क्योंकि इटली के अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक आईएफएम ने कह दिया कि इटली को संकट से निकालने के लिए वो वित्तीय मदद देने को तैयार है। हालांकि बाद में आईएमएफ के प्रवक्ता ने इसका खंडन कर दिया। खैर, इस दरम्यान हमारे उस्ताद लोग इसे यूरोप के संकट में राहत बताकर बाजार को चढ़ानेऔरऔर भी

यह हफ्ता छुट्टियों के चलते काफी छोटा है। शेयर बाजार में कुल तीन दिन ही ट्रेडिंग होनी है। बुधवार व शुक्रवार। बस दो दिन और। फिर अगले हफ्ते के एकदम शुरू में ही कंपनियों के तिमाही नतीजों के आने का सिलसिला थम हो जाएगा। लेकिन दुनिया के मंच पर घूम रही सारी बुरी खबरों के बीच एक ऐसी अच्छी खबर है जो हर तरफ शॉर्ट सौदों से भरे शेयर बाजार को चौंका सकती है और भारत इसकाऔरऔर भी

यूरोप के मसले ने उन सभी निवेशकों व ट्रेडरों को चरका दे दिया जो उस बहस और शॉर्ट सेलिंग करते रहे। निफ्टी 4700 से सुधरता हुआ 5350 तक आ चुका है और अब 5500 के पार जाने को तैयार है। इसके आसपास पहुंचते ही टेक्निकल एनालिसिस के हिसाब से एफआईआई खरीद की भंगिमा अपना लेंगे क्योंकि 200 डीएमए (200 दिनों के मूविंग औसत) अभी 5406 है और बाजार के इसके ऊपर जाने पर आप शॉर्ट नहीं रहऔरऔर भी

अमेरिकी बाजार का सूचकांक डाउ जोंस 1.53 फीसदी ऊपर। लेकिन यूरोप के संकट ने एशियाई बाजारों को दबा डाला। भारत भी दबाव में। ऊपर से खाद्य मुद्रास्फीति नौ महीनों के शिखर 12.21 फीसदी पर। इसने निफ्टी पर चोट जरूर की। लेकिन तेजडियों के उत्साह पर आंच नहीं आई और वे निफ्टी को 5500 के ऊपर ले जाने में लगे हुए हैं। यू तो मंदड़ियों का मनोविज्ञान बेचते ही बेचते चले जाने का है। लेकिन अगर समर्थन स्तरऔरऔर भी