मित्र हैं, सरकारी अफसर हैं। शेयर बाज़ार का अच्छा-खासा अनुभव है। 2008 में जबरदस्त चपत के बाद गायब थे। इधर मई के बाद से उन्होंने शेयरों में करीब दस लाख रुपए डाले। चार महीने में करीब सवा लाख के फायदे से गदगद हैं। पोर्टफोलियो में 80 से ज्यादा शेयर। बताते हैं कि जो ठीकठाक लगा, लेते चले गए। लेकिन निवेश का यह तरीका ठीक नहीं। पोर्टफोलियो 40 स्टॉक्स तक सीमित रखें। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

गांव-देहात से लेकर शहर के तमाम लोग अब पढ़-लिखकर नौकरी का इंतज़ार करने की निरर्थकता समझने लगे हैं। उन्हें लगता है कि इससे तो बिजनेस करना ही ठीक है। पर बिजनेस में ज्यादातर लोगों की सोच व्यापार या दलाली से ऊपर नहीं जाती। जिनकी सोच इससे ऊपर जाती है उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं होती। ऐसे ही लोगों को बिजनेस में उतरने का मौका देता है बनी-बनाई कंपनियों के शेयरों में निवेश। आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

समय और उसके साथ निरतंर विकास। जीवन के तमाम क्षेत्रों की तरह निवेश में भी इन्हीं दो पक्षों का ध्यान रखना पड़ता है। चाहने से चंद दिन में पौधा पेड़ नहीं बनता। यह भी सही है कि बोया पेड़ बबूत का तो आम कहां से होए। कंपनियां अच्छी चुनो। फिर देखो चक्रवृद्धि दर का कमाल। कंपनी के साथ आपका धन कुलांचे मारता बढ़ेगा। दीर्घकालिक निवेश की सेवा तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी, जिसे बढ़ना है आगे…औरऔर भी

जो सहज हो, वो सही हो, यह जरूरी नहीं। मसलन, इस समय सहज सोच यही है कि खरीदो। हम नहीं समझते कि इससे पीछे सारा खेल लालच का है। आज या कभी भी चढ़े हुए बाज़ार में सही चीज़ होनी चाहिए कि बेचकर पिछला घाटा बराबर कर लो; जो शेयर लक्ष्य पर पहुंच गए हों, उनसे धन निकालकर सुरक्षित माध्यमों में लगा दिया जाए। सहज और सही के समीकरण के बीच तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार में हर तरह का सामान मिलता है। प्याज से लेकर मोबाइल और सोने के जेवर तक। इनकी उपयोगिता और उम्र भिन्न होती है। सफर में भांति-भांति के लोग मिलते हैं। लेकिन सफर की यारी ज्यादा नहीं चलती। इसी तरह कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनका साथ साल-छह महीने के लिए ही काफी होता है। इतने वक्त में उनसे मुनाफा कमाकर निकल लेना चाहिए। नहीं तो फसान हो जाती है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

अच्छी कंपनियों के शेयर बढ़ते हैं, हवाबाज़ कंपनियों के डूबते हैं। यह सबक है अपनी चार साल की यात्रा का। ठीक चार साल पहले बीएएसएफ खरीदने की सलाह दी थी, जबकि वो 52 हफ्ते के शिखर 489.20 पर था। अभी 830.70 पर है, 490 उसका 52 हफ्ते का न्यूनतम और 913.90 उच्चतम स्तर है। वहीं एक पंटर का बताया डेक्कन क्रोनिकल तब के 139 से अब 2.65 पर आ चुका है। तथास्तु में एक संभावनामय अच्छी कंपनी…औरऔर भी

दीर्घकालिक निवेश में देखते हैं कि कंपनी के भावी कैश-फ्लो के आधार पर उसके शेयर का अंतर्निहित मूल्य कितना है। अगर बाज़ार भाव उससे कम तो निवेश बनता है। नहीं तो उससे दूर रहना भला। दिक्कत यह है कि ज्यादातर शेयर अभी अंतर्निहित मूल्य से काफी ऊपर चल रहे हैं। जब सस्ते थे तो हमारे बताने के बावजूद किसी ने पूछा नहीं। अब सब दौड़े पड़े हैं। भागमभाग के बीच तथास्तु में मैराथन की सामर्थ्य वाला स्टॉक…औरऔर भी

शेयर बाज़ार के निवेश के रिस्क को भगवान भी नहीं मिटा सकता। कंपनी का मालिक तक नहीं जानता कि कौन-सी आकस्मिकता उसके सालों से जमे धंधे को ले बीतेगी। इसलिए यहां से लक्ष्य पूरा होते ही धन निकाल कर ज़मीन, सोने या एफडी जैसे सुरक्षित माध्यम में लगा दें। दूसरे, ज्यादा घाटा भी न सहें। कोई शेयर 25% गिर गया तो बेचकर निकल लें क्योंकि उतना भरने के लिए उसे 33.33% बढ़ना पड़ेगा। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

जब तक किसी कंपनी में विकास की भरपूर संभावना साफ-साफ नहीं दिखती, तब तक उसके शेयर नहीं चढ़ते। पर उन कंपनियों में भी निवेश का कोई फायदा नहीं, जिनके शेयरों में भावी विकास की ज्यादातर संभावना को भावों में सोख लिया गया हो। हमें निवेश उस कंपनी में करना चाहिए जिसमें बाज़ार को लगता है कि उसके शेयर के बढ़ने की खास गुंजाइश नहीं है। तथास्तु में आज औरों की नज़र से ओझल ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी