देश का औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में बढ़ने की जगह 5.10 फीसदी घट गया है। सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर 2011 में पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 5.10 फीसदी घट गया है। पिछले साल अक्टूबर में आईआईपी साल भर पहले की तुलना में 11.3 फीसदी बढ़ गया था। औद्योगिक मोर्चे पर इससे ज्यादा विकट स्थिति साल 2009 के शुरुआती तीन महीनों में ही हुई थी, जबकिऔरऔर भी

जो अपरिहार्य था, जिसे होना ही था, आखिरकार वही हो रहा है। भारतीय बैंकिंग सेक्टर को मूडीज ने एसबीआई के नतीजों के बाद डाउनग्रेड किया तो उसके एक दिन बाद ही स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने उसे अपग्रेड कर दिया। इससे कहीं न कहीं यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि डाउनग्रेड और अपग्रेड करना ऐसे सिंडीकेट की चाल है जिसका मकसद भारतीय बाजार को अपने इशारों पर नचाना है। जो निवेशक भगवान मानकर ऐसा करनेवालों काऔरऔर भी

अमेरिका का डाउ जोंस सूचकांक शुक्रवार को 267.01 अंक बढ़कर 11,808.79 पर पहुंच गया, जबकि इसका अब तक का शिखर 12,876 का है। वैसे, 12,876 का यह स्तर किसी अनार के फूटने की तरह था जो ज्यादा टिका नहीं। इसलिए 12,500 को डाउ का औसत उच्चतम स्तर माना जाता है। इस औसत से अमेरिकी शेयर बाजार गिरकर 10,405 तक चला गया था जो करीब-करीब 17 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। लेकिन नीचे का स्तर भी ज्यादा टिकाऔरऔर भी

सामाजिक जीवन और प्रकृति में बिंदासपना चलता है। बल्कि सच कहा जाए तो जो रिस्क उठाते हैं, जीवन का असली आनंद वही लोग उठा पाते हैं। महाभारत में कृष्ण यही तो मनोभूति बना रहे होते हैं, जब वे अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध में जीत गए तो धरती के सुखों का भोग करोगे और वीरगति को प्राप्त हो गए तो स्वर्ग का आनंद लूटोगे। लेकिन यह मानसिकता शेयर बाजार में नहीं चलती। यहां भावना में आंखऔरऔर भी

अगर आप जाने-अनजाने, किसी के कहने या गलती से या खुद अपने-आप इक्विटी बाजार में आ ही गए हैं तो मौजूदा देशी-विदेशी हालात का खामियाजा आपको भुगतना ही पड़ेगा। शेयर बाजार में ऐसा होता ही है, इससे बचा नहीं जा सकता। असल में इसीलिए शेयर बाजार सबसे ज्यादा जोखिम से भरा माना जाता है। लेकिन अब तो सुरक्षित माने जानेवाले ऋण बाजार ने भी निवेशकों को झटके देना शुरू कर दिया है। सोना जैसा माध्यम तक सुरक्षितऔरऔर भी

निफ्टी में 4900 का स्तर अब और भी नाजुक बन गया है। कारण, लगातार तीन दिन तक 4900 का स्तर तोड़ने में नाकाम रहने पर बहुत सारे मंदडियों ने कल ही अपनी शॉर्ट पोजिशन काट डाली। ऐसा हमेशा होता है। मंदड़िए जब एक खास स्तर तोड़ने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें अपनी शॉर्ट पोजिशन बराबर करनी पड़ती है। इसी के साथ बढ़त की तरफ झुकाव कफी बढ़ा हुआ है जो साफ दर्शाता है कि बाजार केऔरऔर भी

नौकरियां बढ़ाने के लिए ओबामा का 447 अरब डॉलर का पैकेज दुनिया के बाजारों में चहक नहीं ला सका क्योंकि समयसिद्ध नियम है कि जब भी कोई अच्छी खबर आती है, निवेशक हमेशा बेचते हैं। यह भी कि यह पैकेज रातोंरात असर नहीं दिखा सकता। लेकिन इसने इतना तो साबित कर दिया कि व्हाइट हाउस मानता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है। इन हालात में दोतरफा बिकवाली होनी ही थी। जिन्होंने सुधार की उम्मीदऔरऔर भी

अमेरिका में हड़कंप मचाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने चेतावनी दी है कि वह भारत, जापान और मलयेशिया जैसे देशों की क्रेडिट रेटिंग भी घटा सकती है। फिलहाल भारत की क्रेडिट रेटिंग बीबी (-) है। निवेश के लिहाज से यह रेटिंग का काफी निचला स्तर माना जाता है। कमजोर रेटिंग से भारत सरकार समेत भारतीय कंपनियों को विदेशी कर्ज के लिए ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। एस एंड पीऔरऔर भी

शुक्रवार को जब दुनिया भर के तमाम बाजारों के सूचकांक धांय-धांय गिर रहे थे, बीएसई सेंसेक्स 3.97 फीसदी और एनएसई निफ्टी 4.04 फीसदी गिर गया था, तब भारतीय शेयर बाजार का एक सूचकांक ऐसा था जो कुलांचे मारकर दहाड़ रहा है। यह सूचकांक है एनएसई का इंडिया वीआईएक्स जो यह नापता है कि बाजार की सांस कितनी तेजी से चढ़ी-उतरी, बाजार कितना बेचैन रहा, कितना वोलैटाइल रहा। जी हां, अमेरिका के एक और आर्थिक संकट से घिरऔरऔर भी

बाजार तलहटी पकड़ चुका है। निराशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। निवेशक फिलहाल स्टॉक्स से कन्नी काट रहे हैं। इनमें भी जो छोटे निवेशक हैं वे डेरिवेटिव सेगमेंट में मार्क टू मार्केट की अदायगी के लिए जो कुछ भी पास में है, उसे बेचे जा रहे हैं। मैं कल आम निवेशकों के मूड का पता लगाने के लिए गुजरात में तीन छोटी जगहों पर गया था। मैंने पाया कि यह बात उनके मन में कहीं गहरेऔरऔर भी