जगने का वक्त हो जाने के बावजूद जो लोग सोते रहते हैं, उनकी आत्मा अंदर ही अंदर फड़फड़ाती रहती है। उसी तरह जैसे पिजड़े में कोई पंछी फड़फड़ाता है। ऐसे में जब वे कायदे से सो भी नहीं पाते तो आलस को झटक कर उठ जाना ही बेहतर है।और भीऔर भी

हमें हर वक्त अपना काम इतना टंच रखना चाहिए और जीवन को इतने मुक्त भाव से जीना चाहिए कि अगले ही पल अगर मौत हो जाए तो कतई मलाल न रहे कि हमने ये नहीं किया या वो नहीं किया। जिम्मेदारी से जीना। मुक्त मन से जाना।और भीऔर भी

विचार यूं तो अजगर की तरह अलहदी होते हैं। उन्हें करवट बदलने में ठीकठाक वक्त लगता है। स्थितियां बदलने पर भी पुराने खांचे में बंधे रहते हैं। लेकिन बदलते हैं तो ड्रैगन की तरह हाहाकारी हो जाते हैं।और भीऔर भी