मौजूदा समाज की सबसे बड़ी खामी यह है कि वो व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता के संपूर्ण विकास का मौका नहीं देता। गुजर-बसर के लिए न चाहते हुए भी क्या से क्या करना पड़ता है! तभी तो यहां मुठ्ठी भर को छोड़कर ज्यादातर लोग निर्वासित हैं।और भीऔर भी

औरों से झूठ बोलते-बोलते हम एक दिन अपने से भी झूठ बोलने लगते हैं। वो दिन हमारे लिए सबसे ज्यादा दुखद होता है क्योंकि तब हमारा मूल वजूद ही हमारा साथ हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है।और भीऔर भी

कितनी विचित्र बात है कि जिस उल्लू को हम भारतीय लोग देवी लक्ष्मी की सवारी मानते हैं, उसी की जान को हमारे ही कुछ भाई-बंधुओ के चलते खतरा पैदा हो गया है। इस पवित्र पक्षी को भी हम अंधविश्वास और स्वार्थ के चलते मारने से नहीं हिचकते। उल्लू के अंगों के दवा के तौर पर गलत उपयोग और तंत्र-मंत्र के लिए किए जा रहे अनियंत्रित अवैध व्यापार के कारण भारत में यह जीव गंभीर खतरे में है।औरऔर भी