देश के व्यापार व उद्योग संगठनों, प्रोफेशनल संस्थानों और रिजर्व बैंक व पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के प्रतिनिधियों ने सरकार को वित्तीय उत्पादों की कलर कोडिंग का सुझाव दिया है। मंगलवार को कॉरपोरेट कार्य मंत्री डॉ. एम वीरप्‍पा मोइली के साथ राजधानी दिल्‍ली में हुई बैठक में निवेशकों की हितों की रक्षा और पूंजी बाजार की पहुंच को बढ़ाने के लिए इस तरह के कई सुझाव सामने आए। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वित्तीयऔरऔर भी

देश की नई पीढ़ी हो सकता है कि वित्तीय रूप से हम से कहीं ज्यादा साक्षर हो। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों में अगले शैक्षणिक वर्ष से वित्तीय साक्षरता को अलग विषय के रूप में पढ़ाने की तैयारी में जुटा हुआ है। यह नैतिक विज्ञान की तरह एक अलग विषय होगा। वित्तीय साक्षरता के तहत विद्यार्थियों को शेयर बाजार की ट्रेडिंग, ऑप्शंस व फ्यूचर्स जैसे डेरिवेटिव्स की जटिलता के साथ इनसाइडर ट्रेडिंग का भी ज्ञान करायाऔरऔर भी

अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस सिक्यूरिटीज देश भर में वित्तीय साक्षरता के लिए चालू वित्त वर्ष के अंत तक 300 से ज्यादा निवेशक जागरूकता कार्यक्रम चलाएगी। उसका लक्ष्य 1.5 लाख निवेशकों तक पहुंचना है। पहले चरण में यह कार्यक्रम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में चलाया जाएगा। अगले चरण में कंपनी क्रमबद्ध तरीके से देश के दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी राज्यों तक पहुंचेगी। रिलायंस सिक्यूरिटीज के कार्यकारी निदेशक विक्रांत गुगनानी का कहना है, “हमें उम्मीद हैऔरऔर भी

यूटीआई म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने का अभियान फिर चलाने का फैसला किया है। बहुत मुमकिन है कि इसे भी पिछले साल की तरह जुलाई माह से शुरू कर दिया जाए। इसके तहत म्यूचुअल फंड की तरफ से चार महानगरों – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व चेन्नई से तमाम शिक्षण सामग्रियों के लैस बसें चलाई जाएंगी। इन बसों का नाम नोलेज कारवां रखा गया है। ये बसें शहरों, कस्बों व गांवों में रुक-रुककरऔरऔर भी

रिजर्व बैंक वित्तीय साक्षरता के बारे में बैंकों की तरफ से की जा रही पहल की धीमी रफ्तार से नाखुश है। उसने सभी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों को बाकायदा एक अधिसूचना भेजकर याद दिलाया है कि दो साल पहले 4 फरवरी 2009 को बैंकों वित्तीय साक्षरता व क्रेडिट सलाह केंद्र (एफएलसीसी) बनाने की मॉडल स्कीम के बारे में सर्कुलर भेजा गया था। इस मॉडल स्कीम में प्रावधान था कि वित्तीय साक्षरता के अधिकतम विस्तार के लिए ब्लॉक,औरऔर भी

।।प्रणव मुखर्जी।। भारत आज उस मुकाम पर है जहां कुछ भी करना या पाना असंभव नहीं लगता। साथ ही बहुत सारी चुनौतियां भी हमारे सामने हैं जिन्हें सुलझाकर ही हमने इस दशक के अंत तक विकसित देश के रूप में उभर सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है युवा भारत की बढ़ती अपेक्षाएं। यह आबादी का वो हिस्सा है जो बेचैन है। फिर भी डटा हुआ है और सामने आनेवाले हर अवसर को पकड़ने को तैयार है।औरऔर भी