नए वित्त वर्ष 2013-14 के बजट में सिक्यूटिरीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को लेकर वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ-साथ बजट दस्तावेजों ने भी जिस तरह का भ्रम पैदा किया है, उससे बड़े-बड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट तक गच्चा खा जा रहे हैं। अभी हाल ही में मुंबई के मशहूर चार्टर्ड एकाउंटेंट विमल पुनमिया ने एक सेमिनार में बताया था कि शेयर बाज़ार में कैश डिलीवरी वाले सौदों पर एसटीटी खत्म कर दिया गया है। अलग से ‘अर्थकाम’ के पूछनेऔरऔर भी

बजट का शोर थम चुका है। विदेशी निवेशकों को जो सफाई वित्त मंत्री से चाहिए थी, वे उसे पा चुके हैं। अब शांत हैं। निश्चिंत हैं। बाकी, अर्थशास्त्रियों का ढोल-मजीरा तो बजता ही रहेगा। वे संदेह करते रहेंगे और चालू खाते का घाटा, राजकोषीय घाटा, सब्सिडी, सरकार की उधारी, ब्याज दर, मुद्रास्फीति जैसे शब्दों को बार-बार फेटते रहेंगे। उनकी खास परेशानी यह है कि धीमे आर्थिक विकास के दौर में वित्त मंत्री जीडीपी के आंकड़े को 13.4औरऔर भी

बजट एक ऐसी बला है, शोर थमने के बाद भी जिसका सार सामने नहीं आता। खासकर, फाइनेंस बिल इतना उलझा हुआ होता है कि पहुंचा हुआ वकील ही मसला सुलझा सकता है। ऐसे ही वकील, मुंबई की मशहूर लॉ फर्म डीएम हरीश एंड कंपनी के पार्टनर अनिल हरीश बताते हैं कि इस बार के बजट में पी चिदंबरम ने भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के सहारे मात्र 15 फीसदी टैक्स देकर अपनी काली कमाई सफेद करने काऔरऔर भी

अगर वित्त वर्ष 2013-14 के बजट प्रावधानों को सरसरी निगाह से भी देखा जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि यह बजट देश के लोगों या आम मतदाताओं को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि विदेशी निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों को लुभाने के लिए लाया गया है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कई महीनों से दबाव बना रखा था कि अगर सरकार ने अपने वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त नहीं किया तोऔरऔर भी

सरकार ने शेयर बाजार को बढ़ावा देने के लिए इक्विटी फ्यूचर्स पर सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) 0.017 फीसदी से घटाकर 0.01 फीसदी कर दिया है। लेकिन कैश सेगमेंट या डिलीवरी वाले सौदों पर एसटीटी की मौजूदा दर 0.10 फीसदी को जस का तस रखा गया है। जानकार मानते हैं कि इससे शेयर बाज़ार में वास्तविक निवेश की जगह सट्टेबाज़ी को बढ़ावा मिलेगा। वैसे भी इस समय कैश सेगमेंट का कारोबार डेरिवेटिव सौदों के आगे कहीं नहीं टिकता।औरऔर भी

लघु व मझौले उद्यमों को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाए बिना ही एसएमई एक्सचेंज में लिस्ट होने की इजाज़त दी जाएगी। लेकिन उनका इश्यू जानकार निवेशकों तक ही सीमित रहेगा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को पेश बजट 2013-14 में यह घोषणा की। ऐसे उद्यमों में स्टार्ट-अप कंपनियां भी शामिल हैं। यह सुविधा मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के एसएमई प्लेटफॉर्म से अलग है जहां व्यापक निवेशकों की भागादारी के साथ आईपीओ लाकर ही लिस्टिंग कराई जा सकतीऔरऔर भी

भारत शायद दुनिया के उन गिने-चुने देशों में होगा, जहां मुद्रास्फीति की मार की भरपाई बैंक बचत खाते पर दिए जानेवाले ब्याज से नहीं करते। ज्यादातर बैंक ग्राहकों को उनकी बचत पर महज चार फीसदी ब्याज देते हैं, जबकि मुद्रास्फीति की दर सात से दस फीसदी चल रही है। इसीलिए लोगबाग बैंक खाते में धन रखने के बजाय सोने या जमीन-जायदाद में लगा रहे हैं। वित्त मंत्री चिदंबरम ने आम बजट में इसी प्रवृत्ति को रोकने केऔरऔर भी

अगर अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के दौरान आप अपना पहला मकान खरीदते हैं और उसके लिए किसी बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से 25 लाख रुपए तक का होमलोन लेते हैं तो आप ब्याज के रूप में चुकाए 2.50 लाख रुपए को अपनी करयोग्य आय से घटा सकते हैं। यानी, आपकी करयोग्य आय अगर 7.50 लाख रुपए है तो आपको पांच लाख रुपए पर ही इनकम टैक्स भरना पड़ेगा। अभी तक होमलोन मेंऔरऔर भी

सरकार नए निवेशकों को शेयर बाजार में खींचने के लिए बेताब है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम को और आकर्षक बना दिया है। अभी तक इस स्कीम में वे लोग ही निवेश कर सकते हैं, जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपए या इससे कम है। लेकिन नए वित्त वर्ष 2013-14 से यह सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दी गई है। साथ ही अभी तक नियम यह है कि इस स्कीम काऔरऔर भी